भारत में सबसे पहले इस जगह फहराया जाता है तिरंगा, 1947 से चली आ रही परंपरा

Update: 2018-08-15 05:57 GMT

कानपुर। क्रांतिकारियों का गढ़ कहे जाने वाले कानपुर ने देश की आजादी में अहम भूमिका अदा की थी, जिसके चलते जब देश सो रहा था तब नामित प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ बारह बजे रात्रि को कानपुरवासी झण्डा फहरा रहे थे। तब से शुरू हुई परंपरा आज भी जारी है। इसी क्रम में 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूर्व कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल की अगुवाई कानपुरवासियों ने मंगलवार की रात बारह बजे पन्द्रह अगस्त की तारीख लगते ही झण्डारोहण कर आजादी-ए-जश्न मनाया।

15 अगस्त को वैसे तो पूरे देश में बड़ी धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है लेकिन कानपुर में इसकी अलग ही परंपरा है। यहां 14 अगस्त की रात को 12 बजते ही 15 अगस्त की तारीख लगते ही जैसे ही घड़ी की सुई प्रथम सेकेण्ड को छूती है तो यहां झण्डा रोहण किया जाता है। यहां रात में ही बड़ी धूम धाम से 15 अगस्त का झंडा फहराया जाता है। इसी क्रम में एक बार फिर रात में शहर के मेस्टन रोड के बीच वाले मंदिर के पास 1947 से चली आ रही परंपरा का अनुसरण किया गया। यहां सबसे पहले 1947 को 14 अगस्त की रात 12 बजे तब झंडा फहराया गया था जब अंग्रेजो ने भारत को आजादी सौपी थी। आजादी के बाद तब से यहां हर साल 14 अगस्त को रात 12 बजे ही 15 अगस्त मनाया जाता है और झण्डा रोहण किया जाता है। इस समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल भी शामिल थे। इस झंडारोहण में शहर के सभी वर्ग के लोगों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भी भाग लिया। ठीक 12 बजते ही यहां आतिशबाजी के साथ 72 गोले दाग कर आजादी का जश्न मनाया गया। आजादी का जश्न इस कदर था कि आसमान सतरंगी नजर आने लगा। गीत संगीत के बीच कवियों ने आजादी से ओतप्रोत कविताओं को पढ़कर उपस्थित लोगों के जोश को दूना कर दिया। इस अवसर पर महापुरुषों की झांकियां भी सजाई गई।

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि आजादी बहुत बलिदानों के बाद मिली थी। प्रत्येक व्यक्ति को इसका मूल्य समझना होगा। जायसवाल ने बताया कि आजादी मिलने पर नामित प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू वर्तमान राष्ट्रपति भवन से ठीक बारह बजे झण्डा फहराया था जिसकी जानकारी पर कानपुर भी उसी समय झण्डा फहराकर देश का पहला शहर बन गया था। उसे परंपरा को कानपुर आज भी जीवित रखे हुए है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शंकर दत्त मिश्र ने बताया कि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने वाला था। शहर क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों का बड़ा केंद्र था, स्वाभाविक है ऐसे में आजादी का जश्न भी ऐतिहासिक होना था। दीपक और मशालों की रोशनी से शहर की हर सड़क और गली को रोशन किया गया। 14 अगस्त रात 12 बजे मेस्टन रोड स्थित चौक पर शान से तिरंगा फहराया गया। अर्धरात्रि के उस हुजूम में शामिल बच्चे, बूढ़े, युवा, महिलाएं सभी ने एक स्वर में भारत माता के जयकारे लगाए तो आसमान भी गूंज उठा। जश्न-ए-आजादी की उस परंपरा को कांग्रेस ने आजादी के 71 वर्षो बाद भी जिंदा रखा है।

आजादी के जश्न में आते थे मुख्यमंत्री

शहर अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि कानपुर में आजादी का जश्न पूरे देश में प्रसिद्ध था। आजादी के बाद से यहां पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री शहरवासियों के साथ आजादी का जश्न मनाने आते थे, लेकिन यह सिलसिला तब टूटा जब 1967 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह नहीं आ पाये। जबकि फूलबाग में पहुंचने वाले जुलूस को पंडित गोविंद वल्लभ पंत, डा. संपूर्णानंद, एनडी तिवारी, सीबी गुप्ता, विश्वनाथ प्रताप सिंह और श्रीपति मिश्रा ने मुख्यमंत्री रहते हुए संबोधित कर चुके हैं। कहा जब से प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार हो गयी तब से यहां पर प्रदेश अध्यक्ष हर वर्ष संबोधित करते हैं।

आजादी के बाद भी कानपुर ने छोड़ी छाप

इतिहासकार के.के. द्विवेदी बताते हैं कि आजादी से पूर्व कानपुर ही संयुक्त प्रान्त का ऐसा शहर था जहां पर क्रांतिकारी व नेता अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए रणनीति बनाते थे। आजादी के बाद भी कानपुर देश में अपनी अलग छाप छोड़ने में सफल रहा। कहा चूंकि 14 अगस्त को पाकिस्तान का स्वाधीनता दिवस होता है इसलिए तय यह हुआ था कि हिन्दुस्तान का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाएगा। इसी के चलते जब नामित प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू वायसराय पैलेस वर्तमान में राष्ट्रपति भवन से 15 अगस्त को ज्यों ही घड़ी की सुई बारह पर पहुंची तो झण्डा फहरा दिया और पहले ही तैयारी कर चुके कानपुरवासियों ने भी झण्डा फहराकर आजादी के बाद भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा।

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