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राजनेताओं की स्थिति को बताया दुर्भाग्यपूर्ण : उपराष्ट्रपति

-लोकतंत्र की मजबूती के लिए खुद की आचार संहिता बनाएं राजनीतिक दल

Update: 2019-08-14 14:45 GMT

नई दिल्ली/जयपुर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि अब समय आ गया है जब संसदीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर राजनीतिक दल को अपने सदस्यों के लिए स्वयं ही आचार संहिता का निर्माण करने की दिशा में सोचना चाहिए।

नायडू बुधवार को बिड़ला सभागार में पूर्व उपराष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में आयोजित द्वितीय स्मृति व्याख्यानमाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजनीति चार 'सी' करक्टर, कैलिबर, कैपेसिटी और कन्डक्ट की मर्यादा में रहते हुए की जानी चाहिए। जबकि आज व्यवहार में राजनीति अन्य चार 'सी' कास्ट, कम्यूनिटी, कैश और क्रिमिनलिटी के आधार पर की जा रही है। इसलिए जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी आचार संहिता बनाएं ताकि भारत का लोकतंत्र मजबूत हो सके। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि आजकल राजनेताओं की स्थिति ऐसी है कि कुछ भी नहीं कह सकते। कब कौन कहां हो पता नहीं रहता, ये दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने किसी पार्टी का नाम लिए बगैर कहा कि जिस प्रकार स्टेशन पर बस और ट्रेन आती जाती रहती हैं। वैसे ही नेता कब कौन कहां चाल जाए पता नहीं चलता। राजनेताओं की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा संसद ही नहीं विधानसभाओं में भी है। इस बारे में सभी राजनीतिक दलों को मिलकर सोचना चाहिए। पार्टी के नेताओं के लिए आचार संहिता लागू होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भैरोसिंह शेखावत ने राजनीति में आदर्श स्थापित किया। उनके काम करने की पद्धति, अनुशासन व कार्यो को मैं अपने मन में रखकर काम करता हूं। उस वक्त राजनीति में सौहार्द था और लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है। आजकल की राजनीतिक स्थिति हम सब देख रहे हैं। राजनीति में एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हो सकते है लेकिन शत्रु नहीं। सभी पार्टियों की सोच देश को सशक्त करने, विचारधारा की राजनीति करने की रहती है। लेकिन जो कटुता आई है ये अच्छा नहीं है, इसके बारे में सोचना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भैरोसिंह शेखावत गांव, गरीब, किसान के लिए सोचते थे। पार्टी के सम्मेलनों में किसानों के प्रस्ताव वो ही तैयार करते थे और मुझे साथ रखते थे। पुलिस की नौकरी से उठकर राजनीति के शिखर तक पहुंचे। वे अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि से तो सरपंच भी नहीं बन सकते थे। लोकतंत्र में समर्पण भाव से सेवा की। उनका विचारधार के प्रति कमिटमेंट था। अन्त्योदय योजना के जनक थे।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि आज का विधायक अखबार पढ़कर विधानसभा में बोलता है, लेकिन भैरोसिंह जी विधानसभा में जो बोलते थे वो अखबार में छपता था। किसी बात पर समझौता नहीं किया। उन्होंने शेखावत के नाथद्वारा मंदिर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि स्व. भैरोसिंह शेखावत ने हम जैसों को राजनीति में चलना सिखाया। उन्होंने लगान माफ करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया। काम के बदले अनाज स्कीम दी। विचारधार के प्रति समपर्ति थे।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य ओमप्रकाश माथुर ने कहा कि स्व. भैरोसिंह शेखावत से मैंने संयम, समर्पण और स्नेह की सीख ली। राजनीति की एबीसीडी उनसे सीखने को मिली। इस दौरान मंच पर विधायक नरपत राजवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम संयोजक अभिमन्यु सिंह ने स्वागत भाषण किया। 

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