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सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर हटाया बैन

प्रतिबंधित करने के एनजीटी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

Update: 2018-07-23 06:49 GMT

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर बैन करने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन और धरने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस संबंध में दो हफ्ते में दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया है।

याचिका मजदूर किसान शक्ति संगठन ने दायर की थी। 4 दिसंबर 2017 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को नोटिस जारी करते हुए धरना और प्रदर्शन के अधिकारों को लेकर दिशा-निर्देश और रेगुलेशन को लागू करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि विरोध के अधिकारों और कानून-व्यवस्था के बीच सामंजस्य होना चाहिए ।

याचिका में इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर धरना प्रदर्शन करने की अनुमति देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि महेंद्र सिंह टिकैत के आंदोलन के बाद बोट क्लब लॉन पर प्रदर्शन रोक दिया गया। हकीकत में विरोध करने के अधिकार को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। पूरी सेंट्रल दिल्ली किले के रुप में तब्दील हो चुकी है। 1993 से जंतर-मंतर ही एक ऐसी जगह थी, जहां प्रदर्शन होते थे लेकिन वह भी एनजीटी ने पिछले 5 अक्टूबर से बैन कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने कहा था कि इन तरीकों से हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। धारा 19(1) के तहत नागरिकों को मिले अभिव्यक्ति के अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। धारा 19 (1)(बी) के तहत देश के नागरिकों को शांतिपूर्ण इकट्ठा होने का अधिकार है। इसके तहत हम शांतिपूर्ण मार्च या प्रदर्शन कर सकते हैं। इन अधिकारों का हनन करने के लिए गाहे-बगाहे प्रशासन द्वारा धारा 144 का उपयोग किया जाता है। 

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