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एनआरसी मामला : राजनाथ सिंह ने कहा - तृणूमूल सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ नहीं हुआ किसी तरह का दुर्व्यवहार

Update: 2018-08-03 06:36 GMT



नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में इस मसले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 30 जुलाई को जारी मसौदा अंतिम नहीं है और जिन लोगों का भी नाम सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी में नामांकन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और विभिन्न दस्तावेजों की गहन पड़ताल के बाद ही किसी व्यक्ति का नाम इस सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इसकी पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जा रही है और समय-समय पर पूरे कामकाज की समीक्षा भी हो रही है।

सिंह ने सदन को आश्वस्त किया कि सूची तैयार करने में किसी तरह का कोई भेदभाव नही किया गया है और ना ही आगे कोई भेदभाव किया जायेगा।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार और असम सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि तय समयसीमा में भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल किये जाएं । उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनआरसी को लेकर अनावश्यक रूप से भय का माहौल पैदा किया जा रहा है और सांप्रदायिक रूप से माहौल को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कहा कि यह स्वाभाविक है कि हर देश यह जानना चाहेगा कि उसके यहां कितने लोग अपने नागरिक हैं और कितने विदेशी नागरिक हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि जो लोग एनआरसी में आने से रह गये हैं उन्हें जरूर एक और मौका दिया जायेगा और यदि इसके बावजूद वह दस्तावेज नहीं दे पाते हैं तो उन्हें न्यायिक अधिकरण के पास जाने का अधिकार होगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने सरकार से जो अपेक्षा की है, उसी के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि जो भी दस्तावेज एनआरसी के लिए आवश्यक हैं, यदि वह दिये जाएं तो कोई भी व्यक्ति एनआरसी में शामिल होने से नहीं छूटेगा।

उन्होंने कहा कि एनआरसी में 40 लाख परिवार नहीं बल्कि 40 लाख लोग शामिल नहीं किये गये क्योंकि वह दस्तावेज मुहैया कराने में अब तक विफल रहे।


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