नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि 1 जनवरी से रजिस्टर होने वाली हर बस और टैक्सी में वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम (वीएलटीएस) और इमरजेंसी बटन लगाना अनिवार्य होगा। ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा को इस सिस्टम को लगाने से छूट दी गई है। हालांकि, पुराने वाहनों के लिए यह सिस्टम लगाने की तारीख तय करने का अधिकार राज्यों पर छोड़ा गया है। इसके अलावा राज्य सरकारों को वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम के लिए कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर भी बनाना होगा। रोड ट्रांसपॉर्ट मिनिस्टरी के एक टॉप अफसर के मुताबिक मंत्रालय की ओर से इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के बाद अब देश भर में जहां भी पब्लिक ट्रांसपॉर्ट सिस्टम के लिए एक जनवरी 2019 से नया वीइकल रजिस्टर होगा, उसमें वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। अगर किसी वाहन में यह सिस्टम नहीं लगा होगा तो उसे रजिस्टर नहीं किया जाएगा।
मंत्रालय का कहना है कि फिलहाल मोटे तौर पर इसके दायरे में बसें और टैक्सियां आएंगी। बसों में भी न सिर्फ रूटों पर चलने वाली स्टेज कैरिज बल्कि स्कूलों और टूरिस्ट सर्विस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कांट्रैक्ट कैरिज की बसों में भी यह सिस्टम लगाना होगा। मंत्रालय ने ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा को इस सिस्टम से लगाने की छूट दी है।
अधिकारियों का कहना है कि चूंकि ये दोनों तरह के वीइकल ओपन हैं और इसमें सवारी को अगर कोई खतरा नजर आता है तो वह शोर मचा सकती है लेकिन बस और टैक्सी में चूंकि शीशे बंद होते हैं इसलिए उसमें यह लगाना अनिवार्य किया गया है। पब्लिक ट्रांसपॉर्ट के रूप में इस्तेमाल हो रहे पुराने वीइकल में वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम कब से लगाया जाए, इसका फैसला राज्यों पर छोड़ा है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि राज्य अपने क्षेत्र की जरूरतों के आधार पर इसका फैसला ले सकें। हालांकि, वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग के लिए राज्यों को कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर बनाना होगा लेकिन तब तक वीइकल लोकेशन ट्रेकिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनियों की मदद से वीइकल की ट्रेकिंग की जा सकेगी। राज्य सरकारों को यह सिस्टम भी बनाना होगा कि अगर यात्री वीइकल में इमरजेंसी बटन दबाए तो उसकी जानकारी गेटवे के जरिए संबंधित एजेंसी तक पहुंच जाए।