Charan Paduka Yojana: क्या है चरणपादुका योजना? कांग्रेस ने क्यों लगाई थी रोक, अब 21 जून से होगी फिर शुरु
Charan Paduka Scheme Launched : रायपुर। छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले आदिवासी परिवारों की जिंदगी में एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी है। चरणपादुका योजना जो 2005 में शुरू हुई थी, अब 21 जून 2025 से नए जोश के साथ वापस आ रही है। यह योजना न केवल तेंदूपत्ता संग्राहकों के पैरों को सुरक्षा देगी, बल्कि उनके स्वाभिमान को भी नई ऊंचाई देगी। लेकिन आखिर यह योजना क्यों बंद हुई थी, और अब इसे दोबारा क्यों शुरू किया जा रहा है? आइए जानते हैं इस आर्टिकल में...।
चरणपादुका योजना क्या है?
2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मुफ्त जूते दिए जाते थे। जंगल में नंगे पैर चलने वाले आदिवासियों को कांटों और कीड़ों से बचाने के लिए यह योजना वरदान साबित हुई। 2008 में महिलाओं को भी शामिल किया गया और 2013 से पुरुषों को जूते और महिलाओं को चप्पल देने की परंपरा शुरू हुई। अब 21 जून को जशपुर के तपकरा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इसे पुनर्जनन करेंगे, जिसमें 12 लाख 40 हजार संग्राहक परिवारों की महिलाओं को चप्पल वितरित की जाएगी। इस योजना पर 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
कांग्रेस ने क्यों लगाई थी रोक?
2018 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार ने इसे "कमीशन पादुका योजना" करार देते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उनका दावा था कि खराब गुणवत्ता के जूते-चप्पल बांटे जा रहे थे, और यह योजना सिर्फ दिखावा थी। इसके बजाय, उन्होंने संग्राहकों को बोनस के रूप में नकद राशि देने का फैसला किया। हालांकि, कई आदिवासियों का कहना था कि जूते-चप्पल उनके लिए ज्यादा उपयोगी थे, क्योंकि जंगल में काम के दौरान उनकी सुरक्षा जरूरी है।
पीएम मोदी ने रानी बाई को पहनाई थी चप्पल
2018 में बीजापुर के जांगला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आदिवासी महिला रानी बाई को अपने हाथों से चप्पल पहनाई थी। यह पल न केवल भावुक था, बल्कि इसने योजना की महत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया। उस दिन पीएम ने आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ भी किया था, और चरणपादुका वितरण ने आदिवासियों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाया।
अब क्यों चर्चा में है?
भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में "मोदी की गारंटी" के तहत इस योजना को फिर से शुरू करने का वादा किया था। मुख्यमंत्री साय ने कहा, "यह सिर्फ चप्पल बांटने की योजना नहीं, बल्कि आदिवासियों के स्वाभिमान और सुरक्षा का प्रतीक है।" इस पुनरारंभ से छत्तीसगढ़ के तेंदूपत्ता संग्राहकों में खुशी की लहर है, लेकिन कांग्रेस इसे राजनीतिक स्टंट बता रही है। बता दें कि, अब 21 जून को जशपुर के तपकरा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इसे फिर से शुरू करेंगे, जिसमें 12 लाख 40 हजार संग्राहक परिवारों की महिलाओं को चप्पल वितरित की जाएगी। इस योजना पर 40 करोड़ रुपये खर्च होंगे।