छत्तीसगढ़ में स्कूलों का युक्तियुक्तकरण: शिक्षक आज करेंगे मंत्रालय घेराव, 43 हजार नौकरियां खतरे में!

Update: 2025-05-28 04:30 GMT

CG School Rationalisation : रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 10,000 से अधिक स्कूलों को युक्तियुक्तकरण (Rationalization) करने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार का दावा है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और शिक्षकों का बेहतर बंटवारा हो सकेगा। लेकिन शिक्षक इसे सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की साजिश बता रहे हैं।

इस फैसले के विरोध में आज 28 मई 2025 को 10,000 से ज्यादा शिक्षक राजधानी रायपुर में मंत्रालय का घेराव करने जा रहे हैं। उनका कहना है कि इस नीति से करीब 43,000 शिक्षकीय पद खत्म हो सकते हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।

क्या है युक्तियुक्तकरण ?

युक्तियुक्तकरण का मतलब है संसाधनों और मानवबल को व्यवस्थित करना ताकि खर्च कम हो और सिस्टम सुचारू चले। उदाहरण के तौर पर अगर किसी शहर में एक ही संस्था के दो दफ्तर हैं, तो उन्हें एक में मिला दिया जाता है। इससे खर्च तो कम होता है, लेकिन कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ता है और नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं। स्कूलों के मामले में सरकार कुछ शिक्षकों को सरप्लस (अतिरिक्त) दिखाकर उनका ट्रांसफर कर सकती है या उनके पद खत्म कर सकती है।

शिक्षकों का विरोध क्यों?

शिक्षकों का कहना है कि दो शिक्षकों से 18 कक्षाएं चलाना असंभव है। इससे न केवल शिक्षकों पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। टीचर्स का समर्थन करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने इसे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है।

सरकार ने क्या कहा

सरकार का कहना है कि कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या जरूरत से ज्यादा है, जबकि कुछ स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक:

- 6,872 प्राइमरी स्कूलों में केवल एक शिक्षक है।

- 212 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है।

- 13,149 प्री-मिडिल स्कूलों में 255 स्कूलों में एक शिक्षक है, और 48 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुसार, एक शिक्षक पर 30 से ज्यादा छात्र नहीं होने चाहिए। छत्तीसगढ़ में यह अनुपात 22-26 छात्र प्रति शिक्षक है, जो ठीक माना जाता है। लेकिन शिक्षकों का मानना है कि युक्तियुक्तकरण से यह संतुलन बिगड़ सकता है।

भर्ती पर क्या असर?

शिक्षकों का आरोप है कि सरकार इस नीति के जरिए नई भर्तियों को टालने की कोशिश कर रही है। वर्तमान में राज्य को 12,832 शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद यह संख्या घटकर 5,370 रह सकती है। कम छात्रों वाले स्कूलों को मर्ज करने से भर्ती की जरूरत और कम हो जाएगी, जिससे सरकार पर भर्ती का दबाव कम होगा। 


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