रायपुर: प्रसूता की मौत के बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार नहीं

रायपुर: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत काफी ज्यादा खराब हो गई है l

Update: 2025-06-17 17:18 GMT

रायपुर। राजधानी में 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा देने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए हमर अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी/पीएचसी)अब नाम मात्र के केंद्र बन गए है। जबकि यहां पर जनता को रात-दिन आपातकालीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिरगांव स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी डॉक्टर की लापरवाही के कारण एक प्रसूता महिला की मौत को देखा जा सकता है। इसके बाद भी कई जगहों में अभी भी हालात में कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं हुआ है। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रात के समय प्रभारी डाक्टर केवल काल पर उपलब्ध है। कई जगहों पर तो रात आठ बजे के बाद अस्पतालों के दरवाजों पर ताले लटक जाते हैं।  

रात में डाक्टर की उपस्थिति अनिवार्य नहीं 

बिरगांव में इतनी बड़ी घटना हो जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में रात के समय डॉक्टरों की भौतिक उपस्थिति को अनिवार्य करने संबंधी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं जारी किए हैं। बस नर्स और वार्डव्वाय के भरोसे पूरा अस्पताल संचालित करना कही न कही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोडऩे जैसा प्रतीत होता है, जिससे यह पूरा तंत्र केवल कागजों तक सिमट कर रह गया है। 

रामनगर हमर अस्पताल में उपचा के नाम पर सन्नाटा

रामनगर हमर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से सवालों के घेरे में हैं। स्वदेश की टीम ने इसकी सच्चाई जानने के लिए अस्पताल प्रभारी डॉक्टर को मैसेज कर रात में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की मौजूदगी की जानकारी मांगी, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। दो दिन बाद टीम ने रात लगभग 12 बजे अस्पताल पहुंचकर वास्तविकता की पड़ताल की, जहां मुख्य गेट पर बाहर से ताला लटकता मिला। टीम ने लगभग 15 मिनट तक अंदर आवाज़ लगाई, लेकिन किसी भी स्टाफ की उपस्थिति का कोई संकेत नहीं मिला। इससे यह साफ हो गया कि रात 8 बजे के बाद अस्पताल पूरी तरह बंद कर दिया जाता है, जिससे 24 घंटे स्वास्थ्य सेवा का दावा सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है। वहीं स्थानीय रहवासियों ने भी इस बात की पुष्टि की कि अस्पताल में रात के समय डॉक्टर या नर्सिंग स्टाफ शायद ही कभी दिखते हैं, और दिन में भी इलाज की व्यवस्था लचर है। 

सीबीसी जैसी सामान्य जांचें बंद पड़ी

सीबीसी जैसी सामान्य जांचें बंद पड़ी हैं। मरीजों के सैंपल लेकर हमर लैब भेजे जाते हैं, जहां रिपोर्ट आने में कम से कम 72 घंटे लगते हैं। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है।

मठपुरैना और भाटागांव स्वास्थ्य केंद्रों में सीमित स्टाफ 

स्वदेश टीम द्वारा मठपुरैना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और भाटागांव हमर अस्पताल में भी रात के समय जांच की गई थी। यहां भी बाहरी ताले और भीतर सीमित स्टाफ की स्थिति देखने को मिली थी।

सीएमएचओ रायपुर ने क्या कहा 

सीएमएचओ रायपुर डॉ मिथिलेश चौधरी ने कहा कि आपके माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार अब मैं खुद रात के समय अचौक निरीक्षण पर निकलूंगा। जहां गड़बड़ी मिलेगी, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

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