CRPF जवान की हत्या की सजा बरकरार: हाईकोर्ट ने खारिज की अपील, कहा- चुनौतियां हत्या का बहाना नहीं
High Court Rejects Appeal of CRPF Jawan who killed 4 Colleagues : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 4 साथियों की हत्या करने वाले CRPF कांस्टेबल संत कुमार की अपील को ख़ारिज कर दिया है। हाई कोर्ट की बेंच ने सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि, ड्यूटी की कठिन और तनावपूर्ण परिस्थितियां अपने सहकर्मियों की हत्या करने का अधिकार नहीं देती। कोर्ट ने माना कि घायल चश्मदीद गवाह की गवाही का कानूनी महत्व अत्यधिक होता है और जब तक उसमें कोई गंभीर विरोधाभास या असंगति न हो, उसे खारिज नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु ने मामले की सुनवाई करते हुए माना कि ट्रायल कोर्ट ने संत कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी ठहराकर जो सजा सुनाई है, उसमें किसी प्रकार की कानूनी त्रुटि नहीं है।
यह है मामला
उत्तर प्रदेश निवासी संत कुमार सीआरपीएफ की बटालियन में कांस्टेबल के पद पर तैनात था और बस्तर जिले के बासागुड़ा कैम्प में ड्यूटी कर रहा था। 9 दिसंबर 2017 को ड्यूटी के समय और जिम्मेदारियों को लेकर उसका उपनिरीक्षक विक्की शर्मा से विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ा कि संत कुमार ने अपनी सर्विस राइफल AK-47 से विक्की शर्मा, एएसआई राजीव सिंह और कांस्टेबल मेघ सिंह पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं, जिससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई।
घटना के दौरान एसआई गजानंद सिंह घायल हो गया, जो किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रहा। इसके बाद संत कुमार ने मनोरंजन कक्ष में छिपे कांस्टेबल शंकर राव पर भी गोली चला दी, जिससे उसकी भी मृत्यु हो गई। इस तरह कुल चार लोगों की जान गई और एक गंभीर रूप से घायल हुआ।
घटना के बाद संत कुमार को गिरफ्तार किया गया और न्यायिक प्रक्रिया शुरू हुई। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए अलग-अलग धाराओं के तहत सात-सात साल की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।