छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सिंडिकेट ने 4 तरीके से कमाए 2800 करोड़

Update: 2025-12-31 07:15 GMT

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में ईडी ने 26 दिसंबर 2025 को एक और सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट दाखिल किया। जांच में सामने आया कि 2019 से 2023 के बीच आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडिकेट ने राज्य की शराब नीति को अपने फायदे के लिए तोड़-मरोड़ कर लागू किया

ईडी के अनुसार, इस अवैध नेटवर्क ने करीब 2,883 करोड़ रुपए की अपराध आय अर्जित की। इसमें अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी, कवासी लखमा, चैतन्य बघेल, सौम्या चौरसिया और निरंजन दास शामिल है.

4 तरीके और करोड़ों की कमाई

अवैध कमीशन

शराब सप्लायर्स से आधिकारिक बिक्री पर रिश्वत वसूली गई। सरकारी “लैंडिंग प्राइस” को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर कमीशन की व्यवस्था की गई।

बिना हिसाब की शराब बिक्री

डुप्लीकेट होलोग्राम और नकद में खरीदी गई बोतलों के जरिए सरकारी दुकानों से ऑफ-द-बुक्स शराब बेची गई। इससे आबकारी शुल्क और टैक्स की चोरी हुई।

कार्टेल कमीशन

डिस्टिलर्स से हर साल कमीशन वसूला गया ताकि उनका मार्केट शेयर बना रहे और लाइसेंस सुरक्षित रहे।

FL-10A लाइसेंस

विदेशी शराब निर्माताओं से कमीशन वसूलने के लिए नया लाइसेंस कैटेगरी बनाई गई। इसमें मुनाफे का 60% हिस्सा सीधे सिंडिकेट को मिलता रहा।

जाने कौन-कौन आरोपी

ब्यूरोक्रेट्स- पूर्व IAS अनिल टुटेजा, तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास, CSMCL के पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी।

राजनीतिक चेहरे- तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल, और सीएमओ में उप सचिव रही सौम्या चौरसिया।

निजी लोग और कंपनियां- सिंडिकेट की अगुआई अनवर ढेबर और अरविंद सिंह ने की। निजी डिस्टलरी कंपनियां जैसे छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स, और वेलकम डिस्टलरीज शामिल।

अन्य आरोपी: डुप्लीकेट होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधु गुप्ता, कैश कलेक्शन में सिद्धार्थ सिंघानिया।


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