बस्तर के कारीगर पंडी राम मंडावी: पद्मश्री से सम्मानित, इटली, जर्मनी, रूस और पोलैंड में छाई कला
Bastar's artisan Pandi Ram Mandavi honored with Padma Shri
Padma Shri Pandi Ram Mandavi : रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ के पंडीराम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नारायणपुर जिले के गोंड मुरिया जनजाति के जाने-माने कलाकार पंडी राम मंडावी का पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में बड़ा योगदान है। पद्मश्री पंडी राम मंडावी ने लकड़ी की मूर्तियां और स्मृति स्तंभ बनाने की कला इटली, जर्मनी, रूस और पोलैंड तक पहुंचाई है।
पद्मश्री से सम्मानित पंडी राम मंडावी ने कहा, मैं बस्तर, छत्तीसगढ़ से आता हूं। मुझे यह सम्मान पाकर बहुत खुशी हुई। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। मैं भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं लकड़ी की मूर्तियां और स्मृति स्तंभ बनाता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि, मैंने अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए कोलकाता, मुंबई, केरल, दिल्ली, भोपाल सहित देश के कई स्थानों का दौरा किया है। मैंने इटली, जर्मनी, रूस और पोलैंड का भी दौरा किया है।
कौन हैं बस्तर के कारीगर पंडी राम मंडावी
पंडी राम मंडावी छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से आने वाले एक प्रसिद्ध आदिवासी कलाकार हैं। उनकी उम्र 68 वर्ष है। पंडी राम मंडावी गोंड मुरिया जनजाति से हैं और अपनी लकड़ी की मूर्तियों, स्मृति स्तंभों और पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे ‘सुलुर’ बांसुरी के निर्माण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र में अपने पिता और पूर्वजों से यह कला सीखी और इसे विश्व पटल पर ले गए।
मंडावी ने अपनी कला का प्रदर्शन भारत के कई शहरों जैसे कोलकाता, मुंबई, केरल, दिल्ली और भोपाल में किया है, साथ ही इटली, जर्मनी, रूस, पोलैंड जैसे देशों में भी अपनी कला की छाप छोड़ी है। उनकी कृतियां बस्तर की आदिवासी संस्कृति, जीवन और परंपराओं को जीवंत रूप से दर्शाती हैं।
इसके अलावा, उन्होंने हजारों कारीगरों को प्रशिक्षित कर बस्तर की कला को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके इस योगदान ने न केवल बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान भी दिलाई।