रेलवे भोजन पर हलाल विवाद: मंत्री ने तोड़ी भ्रम की दीवार
रेलवे भोजन में हलाल विवाद पर मंत्री ने साफ कहा कोई नियम नहीं। NHRC नोटिस के बाद रेलवे का बयान, यात्रियों की थाली में सिर्फ गुणवत्ता और सुरक्षा
ट्रेन के सफर में मिलने वाली थाली पर हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर मचा शोर अचानक सोशल मीडिया से निकलकर NHRC और संसद की गलियारों तक पहुँच गया। लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक स्पष्ट बयान देकर इस विवाद को जैसे एक झटके में शांत कर दिया रेलवे में हलाल-सर्टिफाइड भोजन अनिवार्य करने का कोई नियम ही नहीं है।
रेल मंत्री का सीधा संदेश ‘नीति में ऐसा कुछ है ही नहीं’
NHRC की नोटिस के बाद उठे सवालों के जवाब में रेल मंत्री ने साफ किया कि इंडियन रेलवे और IRCTC की प्राथमिकता सिर्फ एक ही है भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा। उन्होंने कहा कि रेलवे पूरी तरह FSSAI के मानकों का पालन करता है, और इसमें किसी धार्मिक प्रमाणन की अनिवार्यता का सवाल ही नहीं उठता।
RTI और CIC में भी साफ हुआ मामला
यह विवाद तब और बढ़ा, जब मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के सामने RTI के तहत यही सवाल रखा गया क्या ट्रेनों में नॉन-वेज भोजन के लिए हलाल मांस अनिवार्य है? रेलवे ने यहां भी वही जवाब दिया ऐसा कोई दस्तावेज, आदेश या दिशा-निर्देश मौजूद नहीं है। CIC ने अपने आदेश में इसे दर्ज भी किया, जिससे मामले की आधिकारिक स्थिति और स्पष्ट हो गई।
NHRC की नोटिस से छिड़ी चर्चा
NHRC ने रेलवे से पूछा था कि क्या केवल हलाल मांस ही यात्रियों को परोसा जा रहा है, और यदि हाँ, तो क्या यह धार्मिक आधार पर भेदभाव माना जाएगा? शिकायतकर्ताओं के अनुसार, इससे यात्रियों के अधिकार प्रभावित होते हैं। हालांकि, रेलवे का जवाब आने के बाद अब यह आरोप हवा में बिखरते नज़र आ रहे हैं।
कैसे काम करती है ट्रेन भोजन आपूर्ति?
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, भोजन की सप्लाई प्रक्रिया में धार्मिक पहचान या किसी विशेष प्रमाणन का कोई रोल नहीं होता। कैटरिंग कॉन्ट्रैक्ट पारदर्शी तरीके से दिए जाते हैं। FSSAI मानकों का पालन अनिवार्य है और भोजन की गुणवत्ता की नियमित जाँच होती है। यात्री क्या खाएंगे, यह पूरी तरह उनकी पसंद है न कि किसी धार्मिक प्रमाणन का दबाव।