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मोदी ने दिया समृद्ध भारत का मंत्र

Update: 2019-08-16 13:36 GMT

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जो भाषण दिया है, वह गंभीरता के साथ देश को आगे ले जाने का आह्वान करता है। वह भविष्य के भारत के लिए एक स्वर्णिम पाथेय है। वह भारत को विश्व गुरु के सिंहासन पर ले जाने का एक समर्थ मार्ग बनाने की ठोस आधारशिला है। भारत को जिन प्राथमिकताओं की आवश्यकता है, प्रधानमंत्री ने उन सभी विषयों पर फोकस किया है। उद्बोधन का सार यही है कि हमारा देश कैसे आगे बढ़े। प्रधानमंत्री के पूरे भाषण में भारत की समृद्धि पर ही जोर दिया गया। यह सही है कि भारत में सात दशक से अनेक प्रकार की विसंगतियां विद्यमान हैं, जो राजनीतिक कारणों से बनीं और पनपती भी रहीं। इन विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने समस्त देशवासियों का आह्वान किया है।

प्रधानमंत्री मोदी का पूरा भाषण यदि अमल में लाया गया तो निश्चित ही भविष्य का भारत एक समृद्ध भारत होगा। आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा संकट पीने के पानी का है, जल की कमी की वर्तमान गति बरकरार रही हो भविष्य में पानी सोने के भाव भी बिक सकता है। मोदी ने अपने भाषण में जलसंकट की समस्या को भी देश के सामने प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने देश का आह्वान किया कि जिस प्रकार से स्वच्छ भारत अभियान जन-जन का अभियान बना था, वैसे ही जल संरक्षण अभियान भी 130 करोड़ देशवासियों का अभियान बने, तो पानी की समस्या को विकराल बनने से रोका जा सकता है। मोदी कहते हैं कि मेरे लिए देश ही सबकुछ है। इसका आशय यही है कि भारत की जनता की प्रगति ही उनका एकमात्र सपना है। इसलिए आज मोदी में देश की जनता का विश्वास पैदा हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को जिसने भी सुना होगा, उसे ऐसा अवश्य ही लगा होगा कि बोलते समय मोदी को पूरा देश दिखाई दे रहा था। हर नागरिकों की समस्या दिखाई दे रही थी। उनकी वाणी भारत की वाणी लग रही थी। जो लोग आज धारा 370 के हटने का विरोध कर रहे हैं, उनके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह धारा यदि इतनी ही जरूरी थी तो फिर इसको 70 साल तक अस्थायी बनाकर क्यों रखा गया। सवाल यह है कि धारा 370 यदि कश्मीर के विकास का रास्ता था तो अभीतक विकास हुआ क्यों नहीं? यह कश्मीर की धरातलीय अवस्था है कि वहां इसी धारा के प्रवाह ने विकास को रोके रखा। अब जब कश्मीर में विकास के रास्ते तैयार करने की कवायद हो रही है, तब सभी को कश्मीर की चिंता हो रही है।

वे कहते हैं कि हम न तो समस्याओं को पालते हैं और न ही समस्याओं को टालते हैं, उनका निराकरण करते हैं। बात भी सही है, समस्याओं के निराकरण में जितनी ज्यादा देरी होगी, समस्या उतनी ही लाइलाज होती चली जाएगी। इसलिए केंद्र सरकार ने एक बहुत बड़ी समस्या का उपचार करने का सामर्थ्य दिखाया। कुछ विरोधी दल सवाल उठा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में ऐसे हालात कब तक रहेंगे, उनसे मेरा सवाल यह है कि जब किसी बीमारी का बड़ा ऑपरेशन किया जाता है तो वह मरीज तुरंत ठीक नहीं हो जाता। कश्मीर में धारा 370 का हटाना, एक बहुत पुरानी बीमारी का ऑपरेशन ही था इसलिए उसकी लंबे समय तक निगरानी करना बहुत ही आवश्यक है।

वास्तव में मोदी का भाषण एक ऐसे भारत का निर्माण करने वाला है, जहां समस्याओं का नामोनिशान नहीं होगा। यह भी सही है कि देश में कोई बड़ा परिवर्तन करने के लिए एक सामूहिक शक्ति की आवश्यकता होती है, जिस दिन देश की जनता इस दिशा में प्रवृत्त होगी, उस दिन देश विकास के रास्ते पर दौड़ेगा। प्रधानमंत्री ने देश को बदलने के लिए छोटी-छोटी बातों पर भी अमल करने का आह्वान किया। बातें भले ही छोटी थीं लेकिन संदेश बहुत बड़े परिवर्तन का है। आजकल खेती युक्त भूमि बर्बाद होती जा रही है, इसके लिए रासायनिक खाद का प्रयोग भी एक प्रमुख कारण है। किसान अपनी भूमि को सुधार सकता है। इसपर भी मोदी ने चिंता जताई है। और भी ऐसी कई बातें हैं जो मोदी ने कही हैं लेकिन इन सभी बातों का देश के विकास से सीधा सरोकार है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 

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