ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर में देश विरोधी सुर: लगे 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे...
अमृतसर। पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर परिसर में गुरुवार को ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर एक बार फिर से अलगाववादी सुर सुनाई दिए। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8 बजे अकाल तख्त साहिब पर अरदास से हुई, लेकिन कुछ देर बाद माहौल उस समय गर्मा गया जब कुछ लोगों ने जरनैल सिंह भिंडरांवाला के पोस्टर लहराते हुए 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने शुरू कर दिए।
हालांकि इस बार एसजीपीसी और अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने पहले से ही एहतियातन निर्णय लेते हुए कौम के नाम संदेश अरदास के बीच में ही दे दिया।
यह परंपरा से हटकर था क्योंकि आमतौर पर यह संदेश अरदास के बाद दिया जाता है। माना जा रहा है कि यह फैसला विवादों से बचने के लिए लिया गया, क्योंकि कुछ दिन पहले दमदमी टकसाल और अन्य कट्टर सिख संगठनों ने जत्थेदार गड़गज की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए थे।
इस बीच, शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान जैसे ही स्वर्ण मंदिर परिसर में पहुंचे, उनके समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी की। अकाल तख्त सचिवालय के बाहर 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे गूंजने लगे, जिससे माहौल संवेदनशील हो गया।
दूसरी ओर, सरबत खालसा के कार्यकारी जत्थेदार ध्यान सिंह मंड को अकाल तख्त पर जाने से रोक दिया गया। उन्होंने इस पर नाराजगी जाहिर की और विरोध भी दर्ज कराया। इसके बावजूद बड़ी संख्या में संगत कार्यक्रम में शामिल रही।
ऑपरेशन ब्लू स्टार: एक झलक
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 से 10 जून 1984 के बीच चला था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर चलाया गया था। इसका मकसद था अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर से उग्रवादियों को हटाना, जहां खालिस्तान समर्थक नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाला ने डेरा जमा रखा था। भारतीय सेना ने ऑपरेशन में भिंडरांवाला और उसके समर्थकों को मार गिराया था, इस घटना ने पूरे देश में दंगे जैसे महोल का जन्म दिया था, साथ ही यह घटना सिख समुदाय के एक वर्ग के लिए भावनात्मक रूप से गहरा आघात बनी हुई है,
सुरक्षा व्यवस्था सख्त
बरसी को देखते हुए पंजाब पुलिस और केंद्रीय बलों ने अमृतसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। बावजूद इसके, नारेबाजी और जत्थेदारों को लेकर हुए विवादों ने फिर से राज्य की सियासत को गर्म कर दिया है।