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कोर्ट में सेंगर, गलत किया तो चढ़ा दो फांसी पर

कोर्ट में सेंगर, गलत किया तो चढ़ा दो फांसी पर
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लखनऊ। भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत में जिरह के दौरान कहा कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए और उनकी आंखों में तेजाब डाल दिया जाना चाहिए। उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की मौत के मामले में उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया गया है।

सजा की अवधि पर सुनवाई के दौरान सेंगर ने खुद ही अपना पक्ष रखा। उन्होंने जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा के समक्ष दावा किया कि पीड़िता के पिता की हत्या में उनकी संलिप्तता नहीं है जिनकी 09 अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।

सेंगर ने न्यायाधीश से कहा, ''या तो मुझे न्याय दीजिए या फांसी पर लटका दीजिए और अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दिया जाए।''

मामले में चार मार्च को सात अन्य के साथ दोषी करार दिए गए सेंगर ने पीड़िता के पिता की मौत में संलिप्तता से इनकार किया और कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।

2017 में लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में सेंगर को पिछले वर्ष 20 दिसंबर को स्वभाविक मौत होने तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी। न्यायाधीश ने गुरुवार को जिरह के दौरान सेंगर से कहा कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है और वह अपनी संलिप्तता से इनकार नहीं कर सकते हैं क्योंकि रिकॉर्ड से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि जब पीड़िता के पिता की हिरासत में पिटाई चल रही थी तो पुलिस अधिकारियों से फोन पर उनकी बातचीत हो रही थी।

सेंगर ने कहा कि उनकी दो बेटियां हैं और न्यायाधीश से आग्रह किया कि उन्हें छोड़ दिया जाए। न्यायाधीश ने कहा कि आपका परिवार है। हर किसी का है। आपको यह सब अपराध करते समय सोचना चाहिए था, लेकिन आपने सभी कानूनों को तोड़ा। अब आप हर चीज को ना कहेंगे? आप कब तक इनकार करते रहेंगे?

सीबीआई ने सेंगर एवं अन्य के लिए अधिकतम सजा की मांग की जिसमें मामले में दोषी करार दिए गए दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसमें माखी थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया और तत्कालीन उपनिरीक्षक के.पी. सिंह शामिल हैं।

सीबीआई के वकील ने कहा कि नौकरशाह होने के नाते इन दो पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखें, लेकिन उन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं की और पीड़िता के पिता का समय पर इलाज नहीं कराया। सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा कि ये पुलिस अधिकारी षड्यंत्र में शामिल थे और उन्हें कड़ा दंड मिलना चाहिए। सजा की अवधि पर सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी।

अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में चार मार्च को सेंगर और सात अन्य को दोषी ठहराया था और कहा था कि उनका पीड़िता के पिता की हत्या करने का इरादा नहीं था। अदालत ने सेंगर, भदौरिया और सिंह के साथ विनीत मिश्रा, बीरेन्द्र सिंह, शशि प्रताप सिंह, सुमन सिंह और अतुल (सेंगर के भाई) को आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दोषी पाया था।

इसके अलावा उन्हें भादंसं की धारा 341 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 304 (गैर इरादतन हत्या) सहित कई अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। बहरहाल अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए कांस्टेबल आमिर खान, शैलेन्द्र सिंह, रामशरण सिंह और शारदावीर सिंह को बरी कर दिया था।

सीबीआई ने मामले के पक्ष में 55 गवाहों को पेश किया था और बचाव पक्ष ने नौ गवाहों से जिरह की थी। अदालत ने पीड़िता के चाचा, मां, बहन और उसके पिता के एक सहकर्मी का बयान दर्ज किया था जिन्होंने घटना में प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा किया था।

सीबीआई के मुताबिक, 03 अप्रैल 2018 को बलात्कार पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह के बीच विवाद हुआ था। 13 जुलाई 2018 को दायर आरोपपत्र के मुताबिक पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गांव माखी लौट रहे थे जब उन्होंने शशि से लिफ्ट मांगी थी।

सीबीआई ने आरोप लगाए कि शशि ने उन्हें लिफ्ट देने से मना कर दिया, जिसके बाद उनके बीच विवाद हो गया। इसने कहा कि इसके बाद शशि ने अपने सहयोगियों को बुलाया जिस पर कुलदीप का भाई अतुल सिंह सेंगर वहां अन्य के साथ पहुंचा और महिला के पिता और सहकर्मी की पिटाई कर दी। इसके बाद महिला के पिता को वे थाने ले गए जहां उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले साल एक अगस्त को उत्तर प्रदेश की निचली अदालत से मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।

Updated : 12 March 2020 2:24 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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