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आवारा कुत्तों के मामले में नगर निगम की व्यवस्था ध्वस्त

आवारा कुत्तों के मामले में नगर निगम की व्यवस्था ध्वस्त
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शिकायत आने पर दौड़ती है टीम

आगरा। महानगर में आवारा जानवरों का आतंक इतना है कि विदेशी पर्यटक भी बच नहीं पा रहे हैं। बंदर और गोवंश की बात छोडि़ए नगर निगम कुत्तों को भी नहीं संभाल पा रहा है। उसका बधियाकरण अभियान भी ठप पड़ा हुआ है। निविदा आमंत्रण के बाद भी कोई उसमें प्रतिभाग नहीं करता है। सवाल उठता है क्या यूं ही नागरिक आवारा जानवरों का शिकार होते रहेंगे? बंदर तो वन विभाग और नगर निगम के सीमा विवाद में फंसे हैं। वर्षों पहले शासन में भेजी गई एसओपी को स्वीकृति नहीं मिल सकी है। इधर आवारा कुत्तों के मामले में भी नगर निगम की व्यवस्था बेपटरी है।

बता दें कि निगम आवारा कुत्तों को पकडऩे की कार्रवाई तो करता है, लेकिन शिकायतें मिलने और वीवीआईपी आने पर ही टीम दौड़ती है। नगर निगम को आवारा कुत्तों का बधियाकरण करना है। इसके लिए निविदा प्रक्रिया भी शुरू की गई थी, जो पूरी नहीं हो सकी। निविदा आमंत्रण की गईं, लेकिन किसी ने उसमें प्रतिभाग नहीं किया। संस्था एसपीसीए ने पहले आवारा कुत्तों का बधियाकरण किया था। अब उस रेट पर दोबारा बधियाकरण करने से इंकार कर दिया है। एसपीसीए की डिमांग वाली रेट को नगर निगम दे नहीं रहा है। हालांकि दोनों के बीच बातचीत की कवायद हो रही है। शहर के अन्य क्षेत्रों के साथ ही ऐतिहासिक इमारतों के पास भी ये जानवर बेखौफ होकर विचरण कर रहे हैं और राहगीरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यही नहीं, इन जानवरों द्वारा सैलानियों को निशाना बनाये जाने की गूंज विदेशों तक में हो रही है और शहर की छवि पर बुरा असर पड़ रहा है।सोमवार को ताजमहल देखने आई 39 वर्षीया फ्रांसीसी महिला एल्सा को ताजमहल के निकट कुत्ता पार्क में कुत्ते ने काट लिया। दर्द से कराहती एल्सा को उनके साथी नजदीक स्थित चिकत्सिक के क्लीनिक पर ले गए। उन्हें एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाया गया। इस मामले को केवल एक घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह भी विचारणीय है कि फ्रांस या अन्य देशों के सैलानियों के बीच नगर निगम के प्रबंधन के बारे में क्या छवि बनी होगी। बात करें गोवंश की तो नगर निगम यमुनापार के नरायच में श्रीकृष्ण गौशाला बनाने के लिए प्रस्ताव शासन भेज चुका है। इस प्रस्ताव को भी स्वीकृति नहीं मिल सकी है। इसमें संशोधन जरूर हुआ है। अब दो हजार गोवंश के स्थान पर केवल आठ सौ गोवंश की व्यवस्था हो सकेगी। बंदर और गोवंश के उत्पात से निजात दिलाने के लिए बनाई गई व्यवस्था को शासन से हरी झंडी नहीं मिल सकी है।

Updated : 5 Feb 2019 2:47 PM GMT
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Naveen Savita

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