Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > आगरा > समाज का सांस्कृतिक दायित्व है 'वृक्षारोपण'

समाज का सांस्कृतिक दायित्व है 'वृक्षारोपण'

-रवि कुमार

समाज का सांस्कृतिक दायित्व है वृक्षारोपण
X

आगरा। भारत राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता वनों में ही पल्लवित तथा विकसित हुई है। यह एक तरह से मानव का जीवन सहचर है। वृक्षारोपण मानव समाज का सांस्कृतिक दायित्व भी है, क्योंकि वृक्षारोपण हमारे जीवन को सुखी संतुलित बनाए रखता है।

हमारे यहां के ऋषि मुनियों ने इन वृक्ष की छांव में बैठकर ही चिंतन मनन के साथ ही ज्ञान के भंडार को मानव को सौपा है। वनों की ही गोद में गुरुकुल की स्थापना की गई थी। इन गुरुकुलो में अर्थशास्त्री, दार्शनिक तथा राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगने वाले बंधु शिक्षा ग्रहण करते थे। इसलिए वृक्षारोपण हमारी संस्कृति में समाहित है। भारत में जहां वृक्षारोपण का कार्य होता है, वहीं इन्हें पूजा भी जाता है। कई ऐसे वृक्ष है, जिन्हें हमारे हिंदू धर्म में ईश्वर का निवास स्थान माना जाता है। जैसे नीम, पीपल, आंवला, बरगद आदि। जिन वृक्ष की हम पूजा करते हैं, वह औषधीय गुणों का भंडार भी होते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य को उन्नत रखने में हमारी सहायता करते हैं।

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि 'मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः। अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः'। अर्थात वृक्षों के मूल में ब्रह्मा मध्य में विष्णु और अग्र भाग में शिव का वास होता है। इसलिए वनों के साथ ही वृक्षारोपण सभी जगह करना जरूरी है और कई तरह के लाभ देने वाले वनों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

आज मानव अपनी भौतिक प्रगति की चकाचैंध में अंधा हो गया है। अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए बेधड़क वृक्षों की कटाई कर रहा है। औद्यौगिक प्रतिस्पर्धा और जनसंख्या के चलते वनों का क्षेत्रफल प्रतिदिन घटता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार अकेले भारत में ही 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले वनों को काटा जा रहा है। वृक्षों के कटान से जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। जलवायु परिस्थितियों में होने वाले व्यापक परिवर्तनों के कारण कई पौधों और जानवरों की पूरी जनसंख्या विलुप्त हो गई है। कुछ क्षेत्रों में कुछ विशेष प्रकार के वृक्ष सामूहिक रूप से विलुप्त हो गए हैं और इस कारण वनाच्छादिन क्षेत्र कम होते जा रहे हैं।

अगर इसी तरह से वृक्ष की कटाई होती रही, तो इसके अस्तित्व पर ही एक प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। आज आवश्यकता है कि शिक्षा के पाठ्यक्रम में वृक्षारोपण को भी प्रमुख स्थान दिया जाए। पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आएं हम सब वृक्ष लगाएं और उनका पोषण करें।

—लेखक संघ के आगरा विभाग फतेहाबाद के जिला प्रचारक हैं।

Updated : 4 July 2020 1:50 PM GMT
author-thhumb

स्वदेश आगरा

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top