इंसेफेलाइटिस नियंत्रण का अनुभव दिलाएगा कोरोना की तीसरी लहर पर विजय
इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के अनुभव का इस्तेमाल कोविड की तीसरी लहर को निष्प्रभावी बनाने में किया जाएगा। बच्चों के लिए अधिक घातक बताई जा रही कोरोना की तीसरी लहर की आशंका विशेषज्ञ जुलाई अंत या अगस्त के प्रारंभ में जता रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर इसकी तैयारी शुरू भी कर दी गई है।
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गोरखपुर: कोविड के सेकंड वेव को थामने की सफल कवायद के साथ ही योगी सरकार थर्ड वेव के प्रभाव को समयपूर्व न्यूनतम करने की तैयारियों में जुट गई है। विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर को बच्चों पर अधिक नुकसानदेह बता रहे हैं, इसे देखते हुए सरकार इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के सफल मॉडल को अगली कोविड जंग के लिए हथियार बना रह है। सरकार का मानना है कि मासूमों पर कहर बरपाने वाली इंसेफेलाइटिस पर जिस रणनीति से काबू पाया गया, वही अनुभव कोविड की तीसरी लहर पर विजय दिलाएगा। यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में बच्चों के लिए 100 बेड का आईसीयू अस्पताल तैयार रखने का आदेश दिया है। इनके साथ ही जिला स्तर पर भी कई पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) क्रियाशील किए जा रहे हैं। सभी डॉक्टरों को बच्चों के इलाज का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा और इसमें प्रशिक्षक की भूमिका निभाएंगे इंसेफेलाइटिस नियंत्रण में प्रभावी योगदान देने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर और केजीएमयू लखनऊ के विशेषज्ञ चिकित्सक।
राज्य के कई जिलों, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्ष 1977 से मासूमों पर कहर बरपाने वाली बीमारी इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण का श्रेय योगी सरकार को ही जाता है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक इंसेफेलाइटिस से प्रति वर्ष हजारों की संख्या में बच्चों की मौत हो जाती थी। इंसेफेलाइटिस की चपेट में आकर जो बच जाते थे, उनमें से अधिकांश शारीरिक या मानसिक दिव्यांगता के शिकार हो जाते थे। चूंकि अपने दो दशक के संसदीय कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ इंसेफेलाइटिस के खिलाफ सड़क से संसद तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की आवाज उठाते रहे, इसलिए जैसे ही सूबे की कमान उनके हाथों में आई उन्होंने इंसेफेलाइटिस उन्मूलन की कारगर कार्ययोजना बनाई। उनके चार साल के कार्यकाल में किए गए समन्वित प्रयासों से वर्तमान में बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 फीसद की गिरावट आई है।
इंसेफेलाइटिस मरीजों के मुकम्मल इलाज के लिए योगी सरकार ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज के संसाधनों को से संसाधनों से सुदृढ करने के साथ ही सभी सीएचसी व पीएचसी की इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर के रूप में विकसित किया। इसके साथ ही खुले में शौच से मुक्ति, शुद्ध पेयजल व सघन टीकाकरण और स्वच्छता जागरूकता के अभियान भी चलाए गए। यूपी में इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के मॉडल की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कर चुके हैं।
इंसेफेलाइटिस नियंत्रण के अनुभव का इस्तेमाल कोविड की तीसरी लहर को निष्प्रभावी बनाने में किया जाएगा। बच्चों के लिए अधिक घातक बताई जा रही कोरोना की तीसरी लहर की आशंका विशेषज्ञ जुलाई अंत या अगस्त के प्रारंभ में जता रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर इसकी तैयारी शुरू भी कर दी गई है। इसके लिए हर मंडल मुख्यालय पर 100 बेड और जिला अस्पतालों में 25-25 बीएड के पीडियाट्रिक आईसीयू को क्रियाशील किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अब सभी मेडिकल कॉलेजों में भी 100 बेड के पीडियाट्रिक आईसीयू की तैयारी का भी आदेश दे दिया है। इस तैयारी में बीआरडी मेडिकल कॉलेज और केजीएमयू के वे डॉक्टर अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं जिन्हें इंसेफेलाइटिस मरीजों के इलाज का पूर्व अनुभव है। ये अनुभवी चिकित्सक उन अन्य डॉक्टरों व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित करेंगे जिनकी सेवा पीडियाट्रिक आईसीयू में ली जाएगी।
Swadesh Lucknow
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