सोयाबीन बीज की किल्लत, किसान "आंधी के आम" बटोरने में लगे
बीज के नाम पर अमानक बीज बेचने की जुगाड़
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वेब डेस्क/श्याम चौरसिया। पिछले दो सालों से ख़रीब की पीला सोना माने जाने वाली सोयाबीन फसल चौपट होती आ रही है। गत साल तो बीज लायक भी नही निकली। कटाई के समय बारिश गिरने से सोयबीन दागी हो गयी थी। अधिकांश किसानों ने दागी सोयाबीन 3300 से लेकर 3700 के बीच बेचकर पल्ला झाड़ लिया था। अब सोयाबीन की खरीदी प्लांट से ही 7600 क्विटल के हिसाब से कर रहे है। किसानी बीज 8000 हजार से ऊपर चल रहा है। बीज का विश्वसनीय स्त्रोत बीज निगम के पास न तो आधार ओर मानक स्तर का सर्टिफाइड बीज है। जो है उसे उत्तम किस्म का ओर खरा नही माना जा सकता। वजह बताते हैं की किसानों ने जो बीज दिया है। वह निर्दोष ओर अच्छी गुणवत्ता का नही माना नही जा सकता। इसलिए अनेक किसानों की सोयाबीन के सेम्पल फेल हो चुके है।
वे ही किसान बीज निगम से वापस लेकर अब 8000 हजार से ऊपर में बेचकर आंधी के आम बटोरने में लगे है।
आम किसानों के सामने धर्मसंकट है। यदि किसानों से महँगा बीज न ले तो सुनिश्चित है की फसल सोयाबीन की बजाय तिल्ली, मक्का, उड़द आदि बोना होगा। किसान ये रिस्क उठाने के लिए तैयार नही है ऐसा लगता है। अधिकांश किसान ऊंचे भाव मे ही बीज की बिक्री की जुगाड़ में लग चुका है। किसानों का मत है। कौन जेब से खरीदना है ? प्रधानमंत्री हर साल 06 हजार रुपया दे तो रहे हैं। थोड़ा अपने पास से मिलाकर खरीद लेंगे। किसानों का हाथ प्रधानमंत्री मोदी ने जगन्नाथ कर दिया है।
बोवनी निकट आती जा रही है। 20 जून के आसपास बोबनी के उत्तम योग बन रहे हैं। नतीजतन किसान गुणवत्ता की चिंता किए बिना दाव लगाने पर उतारू है। किसानों को पता है की अच्छी किस्म का सोयाबीन बीज दुर्लभ है।लेकिन किसान दाव लगाने की ठान चुका है। गनीमत ये है कि DAP ओर सुपर फॉस्फेट कृषि साख समितियों से आसानी ओर पुराने भाव मे मिलने से राहत है।
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