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एनडी तिवारी चार बार रहे मुख्यमंत्री, 1990 के चुनाव में पीएम पद के दावेदार थे

एनडी तिवारी चार बार रहे मुख्यमंत्री, 1990 के चुनाव में पीएम पद के दावेदार थे
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देहरादून/स्वदेश वेब डेस्क। पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के तीन बार और उत्तराखण्ड में एक बार यानी चार बार मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 1990 के चुनाव में वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे नैनीताल संसदीय सीट से लोक सभा का चुनाव मात्र 800 वोट से हार गए। फिर भी उनकी लोकप्रयिता लोगों के बीच रही है। अपने अंदाज और विजन से लोगों के दिल में छाए रहते थे।

नौ बार एमएलए, तीन बार सांसद, दो बार केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एक बार राज्यपाल रहे। इससे पहले वे केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। एन.डी तिवारी कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1993 और 1997 के संसदीय चुनाव में असफल रहने के बाद वे 1999 में फिर सांसद चुने गये। 2002 के निर्वाचन में उत्तरांचल में कांग्रेस को बहुमत मिलने पर उन्हें वहां का मुख्यमंत्री बनाया गया। एन.डी तिवारी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई पार्टिंयां बदली हैं। पहले समाजवादी, फिर कांग्रेसी और अब भाजपाई। हालांकि एनडी तिवारी ने बीजेपी ज्‍वॉइन नहीं की लेकिन उनका बेटा रोहित भाजपा में शामिल हो गया है।

वर्ष 1990 के चुनाव में वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और वे नैनीताल संसदीय सीट से लोक सभा का चुनाव मात्र 800 वोट से हार गए। इस पर प्रधानमंत्री की कुर्सी नरसिम्हा राव को मिली। 1994 में कांग्रेस से उनके मतभेद गहरा गए। इस पर कांग्रेस से इस्तीफा देकर वरिष्ठ कांग्रेसी अर्जुन सिंह व कुछ सांसदों को साथ लेकर उन्होंने आल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) के नाम से नई पार्टी खड़ी कर दी।

कांग्रेस की कमान सोनिया गांधी के संभालने के बाद वे दो साल के भीतर ही कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 के लोक सभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन तिवारी चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंच गए। 1999 में फिर से वे लोकसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।

एनडी तिवारी अकेले राजनेता हैं जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तरांचल के भी मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्हें याद किया जाता है। 1990 में एक वक्त ऐसा भी था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई। पर आखिरकार कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लग गई। बाद में तिवारी आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बनाए गए लेकिन यहां उनका कार्यकाल बेहद विवादास्पद रहा।

पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी पहली बार उत्तरप्रदेश के नौ वें मुख्यमंत्री के रूप में 21 जनवरी 1976 से 30 अप्रैल 1977 तक यानी एक वर्ष, 99 दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से आठवीं विधानसभा में बने थे। 1977 के जयप्रकाश आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा।

वहीं दूसरी बार तीन अगस्त वर्ष 1984 से 24 सितम्बर 1985 तक यानी 1 वर्ष, 52 दिन तक सत्ता संभाले। जबकि तिसरी बार नौ वी विधानसभा में 25 जून 1988 से 5 दिसम्बर 1989 तक 1 वर्ष, 163 दिन मुख्यमंत्री बने रहे। चौथी बार 25 जून 1988 से चार दिसंबर 1989 तक उप्र के मुख्यमंत्री रहे।

उत्तराप्रदेश से अलग हुए उत्तराखण्ड के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में 2002 में नारायण दत्त तिवारी ने शपथ ली। तिवारी 2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 राष्ट्रीय कांग्रेस की पार्टी की ओर से 1832 दिन यानी प्रथम विधानसभा (2002–07) सत्ता संभाले। जो पहले ऐसे मुख्यमंत्री है जो उत्तराखण्ड की सत्ता पर सफलता पूर्वक एक कार्यकाल पूरा किए।

नारायण दत्त तिवारी 22 अगस्त 2007 से 27 दिसम्बर २००९ तक आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। इससे पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एनडी तिवारी जेल में भी रहे। उन्हें आजादी की लड़ाई के दौरान बरेली सेंट्रल जेल में बंद किया गया था।

Updated : 18 Oct 2018 8:30 PM GMT
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