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तीन तलाक के मामलों में मध्यप्रदेश देश में अव्वल

तीन तलाक पर मोदी का वार

तीन तलाक के मामलों में मध्यप्रदेश देश में अव्वल
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नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। तीन तलाक देना अब भारी पड़ेगा। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। विपक्ष द्वारा राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक को पारित नहीं होने देने के कारण केन्द्र सरकार को अध्यादेश का रास्ता अपनाना पड़ा। तीन तलाक देने वाले को जमानत नहीं मिलेगी। तीन साल की सजा के साथ गुजाराभत्ता भी देना पड़ेगा। चौकाने वाली बात ये है कि जनवरी 2017 से सितम्बर 2018 के बीच सबसे अधिक तलाक के मामले मध्यप्रदेश में हुए हैं।

राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित नहीं होने के बाद मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने का जो बीड़ा उठाया था, उस पर आज सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने वाले अध्यादेश को मंजूरी प्रदान कर दी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा जिसके तहत तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की कैद हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।

यह बिल 28 दिसम्बर 2017 को लोकसभा से पास होने के बाद राज्यसभा में गया था। जहां विपक्ष ने विरोध करते हुए उसे अटका दिया था। क्योंकि सत्तापक्ष का संख्याबल वहां कम था, इसलिए विपक्ष अड़ंगा लगाकर उसे लटकाने में सफल रही। विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि इस बिल को कड़े परीक्षण के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए। प्रस्तावित कानून पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केन्द्र सरकार ने इस मुद्दे पर सभी राज्य सरकारों से राय भी मांगी थी। जिसमें ज्यादातर राज्य सरकारों ने इसका समर्थन किया था। देश में बढ़ती तलाक की प्रथा से मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र कराने के लिए केन्द्र सरकार ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया।

क्या हुआ संशोधन

पहला संशोधन: अगर कोई पति अपनी पत्नी को एक साथ तीन तलाक देता है और रिश्ता पूरी तरह से खत्म कर लेता है तो उस स्थिति में पीडि़ता के अलावा उसका रिश्तेदार भी एफआईआर करा सकता है। तीन तलाक देने के बाद किसी की तरफ से भी एफआईआर दर्ज हो सकती थी.

दूसरा संशोधन: पति-पत्नी तलाक के बाद अपने झगड़े को खत्म करने के लिए सुलह-समझौता पर राजी हो जाते हैं तो पत्नी की बात सुनने के बाद मजिस्ट्रेट शर्तोंं के साथ दोनों के बीच सुलह-समझौता पर मुहर लगा सकता है। इसके साथ ही पति को जमानत पर रिहा कर सकता है। पहले जो प्रावधान था, उसमें सुलह समझौता और जमानत का विधान नहीं था।

तीसरा संशोधन: तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की सजा हो सकती है। यह सजा गैर जमानती होगी। लेकिन मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार दिया गया है। पहले जो प्रावधान था, उसमें मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार नहीं था।

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाएं हैं। हर एक तलाकशुदा पुरूष के मुकाबले 4 तलाकशुदा महिलाएं हैं। 13.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो जाती है और 49 प्रतिशत मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 की उम्र में होती है। 2001-2011 तक मुस्लिम औरतों को तलाक देने के मामलों में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। चौकाने वाली बात ये है कि जनवरी 2017 से 13 सितम्बर 2018 तक तीन तलाक की देश में 430 घटनाएं सामने आई हैं।

तीन तलाक के विभिन्न प्रदेशों में दर्ज मामले

- मध्य प्रदेश- 37

- बिहार- 19

- झारखंड- 34

- महाराष्ट्र- 27

- तेलंगाना- 10

- दिल्ली- 1

- हरियाणा- 4

Updated : 24 Sep 2018 3:51 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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