आइए आज हम एक संकल्प लें
स्वदेश स्थापना दिवस विशेष
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वेबडेस्क। ग्वालियर, गालव ऋ षि की तपस्थली है।एक समृद्ध इतिहास और वंदनीय परंपराओं का साक्षी है,ग्वालियर। देश ही नहीं वैश्विक क्षितिज पर दैदीप्यमान नक्षत्रों के तेज से विस्मित करता है, ग्वालियर। स्वदेश एक वैचारिक अधिष्ठान है। अपने स्थापना काल से स्वदेश मूल्य आधारित रचनात्मक पत्रकारिता का पक्षधर रहा है। अत: विचार किया कि यों न हम अपने स्थापना दिवस पर ग्वालियर अंचल के सकारात्मक पक्षों का पुनर्लेखन करें। यह विचार सुविचारित था और इसके पीछे एक ठोस आधार भी। हम इंदौर की चर्चा करते हैं। करनी भी चाहिए।
प्रदेश में यह एक ऐसा महानगर है भी जिसने विकास के मानदंड पर स्वयं को बार बार प्रमाणित किया है, पर यों हुआ ऐसा? या शासन, प्रशासन सिर्फ इंदौर में ही हैं? कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, दोनों के ही कार्यकाल पर गौर करें। दोनों के समय का मूल्यांकन करें? प्रशासन के जो अधिकारी ग्वालियर रहे हैं, वही इंदौर में भी रहे हैं। तंत्र तो समान ही है फिर यों इंदौर हमसे आगे है? वह या है जो इंदौर को हमसे अलग करतीं है? वह है स्थानीय निवासी याने हम सब। कोई भी शहर हो या प्रदेश या देश उसके असली मालिक हम ही हैं। यह शहर के आम जनों को संकल्प लेना होगा कि यह शहर हमारा हैं। विकास और उन्नति की बेशक जवाबदारी शासन, प्रशासन की है पर यह सिर्फ ठेका देकर संभव नहीं। ग्वालियर ने भी जब-जब ठाना है, परिणाम दिए भीं हैं। आवश्यकता उसे निरंतरता देने की है। इसलिए हम ने सोचा ग्वालियर के धवल पक्षों को सामने रखा जाए। एक आत्म विश्वास हम स्वयं जगाएं कि हमारा ग्वालियर भी विशिष्ट है।
अत: स्थापना दिवस पर ग्वालियर के प्रत्येक क्षेत्र को हमने स्पर्श करने का प्रयास किया और आज हम उसे एक साथ संकलित कर एक परिशिष्ट के स्वरूप में प्रकाशित कर रहे हैं। अपने शहर के प्रति आत्म गौरव का यह भाव हम सबको एक बड़ी छलांग लेने का साहस देगा। हम आत्म प्रताडऩा से बाहर आएंगे। स्थापना दिवस पर इस से अधिक शुभ संकल्प और या होगा? स्वदेश की ग्वालियर में यात्रा की शुरुआत 27 अप्रैल 1971 को प्रारंभ हुई थी। आज स्वदेश 52 वर्ष का हो गया। यूं तो स्वदेश की उम्र 75 वर्ष है। कारण इसका आरंभ बिंदु 1948 लखनऊ है। पर यह यात्रा अल्पकाल में ही विराम को प्राप्त हुई। पर संकल्प शति ने विराम को अल्प विराम में परिवर्तित करने का इतिहास बनाया। यह इतिहास बना, देश के ऋषि पूजनीय सुदर्शन जी के अथक परिश्रम से।1966 में इंदौर में स्वदेश का पुनर्जन्म हुआ। श्रीमंत राजमाता के आशीर्वाद से 1971 में यह अंकुर ग्वालियर में भी जन्मा।
मामा माणिक चंद्र वाजपेई और उनके नेतृत्व में स्वदेश ने अंचल में अपनी एक पहचान बनाई जो अब धीरे-धीरे राष्ट्रीय हो रही है। स्वदेश आज मध्यप्रदेश में नौ और उार प्रदेश में तीन स्थानों से प्रकाशित हो रहा है।27 नवंबर 2021 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय ससंघचालक श्री मोहन भागवत ने ग्वालियर में स्वदेश को प्रत्यक्ष आशीर्वाद दिया और उसी आशीर्वाद का फलित है कि देश, प्रदेश में स्वदेश आज एक बड़ा समूह बन कर विचार यात्रा में अपना गिलहरी योगदान दे रहा है। इस यात्रा में हमें अपने पाठकों का सतत संबल मिला है। वस्तुत: वह सिर्फ पाठक की भूमिका तक ही सीमित नहीं रहे और न आज हैं। यही स्वदेश की ताकत है कि जिनके घर में स्वदेश की प्रत्यक्ष दस्तक प्रतिदिन नही है,स्वदेश का स्पंदन उनके हृदय में है। वह स्वदेश का भी उत्कर्ष चाहते हैं। स्वदेश आज अपने इस विस्तारित परिवार के प्रति अपना नमन प्रेषित करता है। हम आभारी हैं अपने समस्त विज्ञापनदाताओं के प्रति जिनका सहयोग हमेशा हमें मिला। आज अपने स्थापना दिवस पर संपूर्ण स्वदेश परिवार आप सभी के स्नेह के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता प्रगट करता है। साथ ही अपनी प्रतिबद्धता प्रगट करता है कि जो लक्ष्य लेकर वह चला है,पत्रकारिता के मूल्यों को जीवित रखते हुए अपनी यात्रा यूं ही अनवरत रखेगा। आइए, हम एक शुभ संकल्प लें आज की ग्वालियर को विश्व के मानचित्र पर हम स्थापित करेंगे और साथ ही स्वदेश भी हम सब के परिवार का नियमित सदस्य बनेगा। कारण हम देश का सर्वांगीण विकास चाहते हैं और इसके लिए स्वदेश का विकास भी आवश्यक है।
Atul Tare
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