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जाने क्यों मानते हैं पर्यावरण दिवस : वृक्षारोपण ला सकता है बड़ा बदलाव

अनुष्का शर्मा, लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली

जाने क्यों मानते हैं पर्यावरण दिवस : वृक्षारोपण ला सकता है बड़ा बदलाव
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वेबडेस्क। हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है. इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है.पर्यावरण के बिना जीवन संभव नहीं है। पर्यावरण में पेड़ पौधों से लेकर जीव जंतु और जमीन वायु और जल सब कुछ शामिल है। सभी से मिलकर ही पर्यावरण बनता है। पर्यावरण में रहने वाले सभी सचिव एक परिवार की तरह रहते हैं। पर्यावरण का निर्माण प्राकृतिक है और कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से पर्यावरण असंतुलन भी होता है।

लेखिका : अनुष्का शर्मा, लेडी श्रीराम कॉलेज, नई दिल्ली

वर्तमान समय में पर्यावरण काफी तेजी से प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सरकार वर्कर्स प्रयास भी कर रही है। लेकिन जनसंख्या अधिक है। साथ ही साथ देश और विश्व भर में वाहनों की संख्या भी अधिक है और जिसकी वजह से वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण इत्यादि देखने को मिल रहा है।इस साल विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम 'केवल एक पृथ्वी' रखी गई है हमारे भविष्य को बेहतर बनाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए इस दिन दुनिया भर के संगठन एक साथ आते हैं। स्कूल और कार्यालय श्रमिकों और छात्रों को पेड़ लगाने या कुछ स्थानीय भूमि को साफ करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ये छोटे-छोटे प्रयास पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव छोड़ सकते हैं। पर्यावरण की स्थिति में सुधार के लिए सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को समस्याओं से लड़ने और हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए एक साथ आना चाहिए। सख्त कानून लाने, प्लास्टिक के उपयोग की निंदा करने और अधिक पेड़ लगाने से प्रदूषण पर अंकुश लगाने और पर्यावरण को बचाने में मदद मिल सकती है। यह जागरूकता फैलाने में मदद कर सकता है और लोगों को तब प्रदूषण के स्तर की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है।

भारत द्वारा बहाली हेतु की गई पहलें -

राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम: यह वनों के आसपास के अवक्रमित वनों के पुनर्वास और वनरोपण पर केंद्रित है।

हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन: यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change) के अंतर्गत है और इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूलन और शमन रणनीति के रूप में वृक्षों के आवरण में सुधार तथा वृद्धि करना है। राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना: इसे प्राकृतिक आवासों के क्षरण, विखंडन और नुकसान की दरों में कमी के लिये नीतियों को लागू करने हेतु शुरू किया गया है।

ग्रामीण आजीविका योजनाएँ: ग्रामीण आजीविका से आंतरिक रूप से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों की मान्यता महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) जैसी प्रमुख योजनाओं में भी परिलक्षित होती है। मनरेगा के माध्यम से बहाली की संभावना इसके द्वारा वृक्षारोपण और जल निकायों के उप-घटकों के कायाकल्प में निहित है, जिसके माध्यम से वनीकरण, वृक्षारोपण, बागवानी तथा नए तालाबों के निर्माण में आजीविका के प्रावधान किये गए हैं।

इसी तरह एनआरएलएम के तहत योजनाएँ, कृषि और गैर-कृषि आजीविका में विभाजित, प्राकृतिक पूंजी को बढ़ाने के लिये हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करती हैं तथा पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के अवसर प्रदान करती हैं।इन सारी योजनाओं के बारे में बताना इसलिए जरूरी था क्योंकि आम जनता अपनी जिम्मेदारियां सरकार पर डालने से कभी नहीं चूकती।अंत में यही कहूंगी कि वह हर जगह-जगह घने वृक्ष काट कर बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण करना पर्यावरण और प्रकृति के साथ छेडछाड़ हैं। इतना ही नहीं जहां वाहनों का धुआं, मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल आदि की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण हो रहा है। जिसके कारण हमें अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। अत: आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता और सुधी पाठकों को जागरूक करने की।

Updated : 5 Jun 2022 12:25 PM GMT
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