Home > विशेष आलेख > समाज में रहकर समाज के लिए जीना ही नारद का गुण है...

समाज में रहकर समाज के लिए जीना ही नारद का गुण है...

लेखक - पदम सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिमी उप्र एवं उत्तराखंड के क्षेत्र प्रचार प्रमुख

समाज में रहकर समाज के लिए जीना ही नारद का गुण है...
X

—अपने चरित्र के अभिमान को कैसे त्यागें...नारद से सीखें...

एक समय राजा उग्रसेन ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि ‘हे वासुदेव’ नारदजी के गुण-गान से मनुष्य को देवलोक की प्राप्ति होती है, इससे इतना तो मैं समझता हूं कि नारद सर्व सद्गुणों से सम्पन्न हैं, परन्तु हे केशव ! आप मुझे बताएं कि नारद में वे गुण कौन-कौन से हैं? इसके उत्तर में भगवान बोले कि हे राजन ! नारद के जिन उत्तम गुणों में जानता हूं, उसमें प्रमुख गुण यह है कि उन्हें कभी भी अपने चरित्र का अभिमान नहीं हुआ। कब क्या बोलना है, कितना बोलना है और बोलने से आकाश से ऊपर और आकाश के नीचे की सृष्टि को क्या लाभ होगा, इसका सम्यक विचार करना ही नारदीय गुण सद्गुण है। नारद का कोई प्रिय या अप्रिय नहीं है। नारद समदृष्टि हैं। इतिहास को सुनकर विषयों को जीतने वाले नारद हैं। सज्जन शक्ति के लिए विमर्श के वातावरण को तैयार करने वाले नारद हैं। संचार के संवाहक नारद हैं। दीनता, क्रोध और लोभ से मुक्त नारद हैं। लोककल्याण के लिए सदैव प्रत्यनशील रहने वाले नारद ही हैं।


वास्तव में नारद पत्रकारिता के पितृ-पुरूष हैं। नारद के चरित्र से ही प्रेरणा लेकर भारतीय पत्रकारिता ने हमेशा स्वार्थ, लोक एवं माया के स्थान पर धर्म के कार्य को श्रेष्ठ माना।

'अस कहि नारद सुमिरि हरि, गिरिजहिं दीन असीस। होइहि यहि कल्याण अब, संशय तजुहु गिरीश'। नारद जी की पत्रकारिता ने हमेशा सज्जन शक्ति की रक्षा और राष्ट्रविरोधियों का दमन किया। समुद्र मंथन में विष निकलने की सूचना सर्वप्रथम आदि पत्रकार नारद ने मंथन में लगे पक्षों को दिया परंतु सूचना पर ध्यान नहीं देने से विष फैला। आदि पत्रकार नारद ने सती द्वारा ‘दक्ष’ के यज्ञ कुंड में शरीर त्यागने की सूचना सर्वप्रथम भगवान शिव को दी। महाभारत के युद्ध के समय तीर्थयात्रा पर गए बलराम जी को महाभारत के युद्ध की समाप्ति की सूचना नारद जी ने ही दी। भृगु कन्या लक्ष्मी का विवाह विष्णु के साथ करवाया। इन्द्र को समझा बुझाकर उर्वशी का पुरुरवा के साथ परिणय सूत्र कराया। महादेव द्वारा जलंधर का विनाश करवाया। कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाया। बाल्मीकि को रामायण की रचना करने की प्रेरणा नारद ने ही दी। व्यास जी से भागवत की रचना करवायी। प्रह्लाद और ध्रुव को उपदेश देकर महान् भक्त भी नारद ने ही बनवाया। नारद जी एक पत्रकार के रूप में जगन्नाथ की रथयात्रा को प्रारंभ कराया। इतना ही नहीं पत्रकार के रूप में काशी, प्रयाग, मथुरा, गया, बद्रिकाश्रम, केदारनाथ, रामेश्वरम् सहित सभी तीर्थों की सीमा तथा महत्व का वर्णन नारद पुराण में है। इतना ही नहीं सभी त्योहारों एवं पर्वो का भी वर्णन उन्होंने किया। उन्होंने नारद पुराण में सभी पुराणों की समीक्षा प्रस्तुत किया है। पुराण समीक्षा आज भी पुस्तक समीक्षा का श्रेष्ठ उदाहरण है। नारद जी ने प्रश्नोत्तरी पत्रकारिता का भी शुभारंभ किया। उन्होंने प्रश्न का सही उत्तर देने पर पुरस्कार की परम्परा प्रारम्भ की, यह उल्लेख पुराणों में है।

ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में देवर्षि नारद एक हैं। नारद जी केवल एक नाम ही नहीं अपितु भारतीय दर्शन की संपूर्ण व्याख्या भी है। पुराणों में व्याख्या मिलती है कि ‘नुरिदं नारमज्ञानं द्यतिं’ अर्थात नरों के अज्ञान को नार कहते हैं, उस अज्ञान का जो ज्ञानोपदेश द्वारा नाश करता है, उसका नाम ‘नारद’ है। देवर्षि नारद जी वास्तव में आदि पत्रकार थे, क्योंकि वे पत्रकार का कार्य करते थे। पत्रकारिता वास्तव में पत्रकार के व्यवहार से जुड़ा कार्य है। वर्तमान में पत्रकारिता के अन्तर्गत पत्रकार-सूचना के संग्रह, सूचना के संपादन एवं सूचना को भेजने का कार्य करते हैं। आदि पत्रकार नारद जी भी तीनों लोकों की सूचना के संग्रह, सूचना के संपादन एवं सूचना के भेजने का कार्य करते थे। इस कारण वे निश्चित ही पत्रकार थे।

आदि पत्रकार नारद जी ने सृष्टि के प्रारंभ में ही पत्रकारिता के समक्ष जो आदर्श एवं स्वरूप प्रस्तुत किया, उस पर स्वतंत्र अध्ययन आवश्यक है। हमें आदि पत्रकार के रूप में नारदजी के योगदान को सदैव स्मरण करना चाहिए। महान विपत्ति से मानवता की रक्षा का कार्य कैसे किया जाता है, यह में नारद के चरित्र से सीखना चाहिए। एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में वीणा और मुख से श्रीनारायण उचाव ही उनका पत्रकारिता का व्यवहार श्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम है। देवर्षि नारद के इन पवित्र गुणों का अनुकरण हम हम सबको अपना जीवन सफल बनाना चाहिए। समय को पहचानने वाला और सबको आत्मरूप से प्रिय जानने वाले, ऐसे नारद पर भला किसका प्रेम नहीं होगा।

Updated : 7 May 2023 5:15 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top