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अनुच्छेद 35 ए को लेकर राजनीति क्यों ?

करुणेश सिंह

अनुच्छेद 35 ए को लेकर राजनीति क्यों ?
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अनुच्छेद 35 ए को लेकर कश्मीर से लेकर दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है। इसके हटने या लागू रहने की बात पर ही पार्टियों के बीच मतभेद हैं। उधर जम्मू कश्मीर में भी इसे लेकर प्रदर्शन किये गए। विपक्ष में बैठे नेताओं ने इसे लेकर जमकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट के पाले में है और अभी फैसला आना बाकी है। आइये हम आपको बताते हैं आखिर है क्या अनुच्छेद 35 ए। ....

दरअसल जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35 ए के अन्तर्गत जम्मू कश्मीर के अलावा भारत के किसी भी राज्य का नागरिक जम्मू कश्मीर में कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता और नागरिक भी नहीं बन सकता। इसे दिल्ली के एनजीओ "वीर द सिटीजन" ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी है दरअसल अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है, जिसे 14 मई 1954 को राज्य में लागू किया गया था। यह अनुच्छेद संविधान की किताबों में देखने को नहीं मिलता है। क्योंकि इसे तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश से संविधान में जगह मिली थी। ये बहुत कम लोग ही जानते हैं कि अनुच्छेद 35 ए धारा 370 का ही हिस्सा है और इसे लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग किया था।

कश्मीर से जुड़े किसी भी मामले में राजनीति नेताओं की आदत बन गई है। राजनैतिक पार्टियां व अलगावादियों को तो मौका मिल गया कि वह ,जम्मू कश्मीर में राजनैतिक रोटियां सेंक सके। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही अलगववादियों और विपक्ष में बैठी पार्टियां खुद को कश्मीर का हितैषी होने का दिखावा करते हुए इसके विरोध में बंद ,हिंसा कर डर का माहौल बना रही हैं। अभी तो सुनवाई शुरु हई है और बेतुकी बयानबाजी से माहौल ख़राब करने का प्रयास होने लगा है कश्मीर बंद करवा के ,स्कूल बंद , पत्थरबाजी करवा कर कश्मीर का माहौल बिगाड़ा जा रहा है। अलगाववादी चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर की जनता अलग थलग पड़ी रहे जिससे वह अपनी राजनैतिक दुकान चला सकें। उन्हें भय है कि बाहरी लोग यदि यहाँ आकर बस जाते हैं तो जम्मू कश्मीर की जनता को बरगलाना और राष्ट्र विरोधी काम करवाना बहुत कठिन हो जाएगा।

जबकि वास्तविकता ये है कि बाहरी लोगों के संपर्क में आने से जम्मू कश्मीर में न केवल अलगाववादी ताकतों का प्रभाव कम होगा बल्कि जम्मू कश्मीर की जनता भी जागरूक होगी। बाहरी राज्यों के संपर्क में आने से धर्म के नाम पर हिंसा और जिहाद , पत्थरबाजी जैसी घटनाओं में भी कमी आएगी जम्मू कश्मीर लोगों के लिए विकास के रास्ते खुलगे.....

केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को लेकर अपना रुख कई बार स्पष्ट कर चुकी है। सरकार का कहना है कि कश्मीर का नागरिक अब गोली, आतंकवाद, पत्थरबाजी नहीं है जिसे अलगाववादी ताकतें पूरा नहीं होना देना चाहती। हालाँकि कश्मीर की जनता भी अब समझ चुकी है कि किस तरह ये अलगाववादी और कुछ राजनेता उनका इस्तेमाल कर रहे है और खुद अपने परिवारों को विदेशों में बसाकर चैन की जिंदगी बसर कर रहे हैं। जनता अब समझ चुकी है कि आईएसआईएस व पाकिस्तानपरस्त इन अलगाववादियों को फंडिग आईएसआई करती रही हैं । उसे अब भरोसा हो चला है कि कभी न कभी वो देश व समाज की मुख्यधारा से जुड़ जायेंगे और अलगाववादी अपने नापाक मंसूबों में नाकाम हो जाएंगे। हम भी उम्मीद करते हैं कि कश्मीर की जनता का ये विश्वास कायम रहे और वे जल्दी ही दूसरे राज्यों की तरह विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएं।

Updated : 21 Aug 2018 12:27 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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