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दुनिया के सभी तकनीक के आविष्कारक है विश्वकर्मा, पांच स्वरूपों में होती है पूजा

डॉ मृत्युञ्जय तिवारी

दुनिया के सभी तकनीक के आविष्कारक है विश्वकर्मा, पांच स्वरूपों में होती है पूजा
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वेबडेस्क। इस वर्ष शनिवार 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाएगी । दुनिया के सभी प्रकार के निर्माण और आविष्कार के जनक भगवान विश्वकर्मा को माना गया है । विश्वकर्मा एक महान ऋषि और ब्रह्मज्ञानी थे। ऋग्वेद में उनका उल्लेख मिलता है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी कहते हैं कि उन्होंने ही देवताओं के घर, नगर, अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था। वे महान शिल्पकार थे।

वराह पुराण में उल्लेख मिलता है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचार कर विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया, वह महान पुरुष विश्वकर्मा घर, कुआं, रथ, शस्त्र आदि समस्त प्रकार के शिल्पीय पदार्थों की रचना करने वाला यज्ञ में तथा विवाहादि शुभ कार्यों के मध्य, पूज्य ब्राह्मणों का आचार्य हुआ। प्राचीन काल में जनकल्याणार्थ मनुष्य को सभ्य बनाने वाले संसार में अनेक जीवनोपयोगी वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, कुआं, बावड़ी कृषि यन्त्र अस्त्र-शस्त्र, भवन, आभूषण, मूर्तियां, भोजन के पात्र, रथ आदि का अविष्कार करने वाले महर्षि विश्वकर्मा जगत के सर्व प्रथम शिल्पाचार्य होकर आचार्यों के आचार्य कहलाए।

नगरियों का निर्माण -

डॉ तिवारी के अनुसार प्राचीन समय में इंद्रपुरी, लंकापुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, द्वारिका, शिवमण्डलपुरी, हस्तिनापुर जैसे नगरों का निर्माण विश्‍वकर्मा ने ही किया था। उन्होंने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशुल, यमराज का कालदंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था।

पुराणों में विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों का वर्णन मिलता है-

1.विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयिता,

2.धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र,

3.अंगिरावंशी विश्वकर्मा- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र,

4.सुधन्वा विश्वकर्म- महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र

5.भृंगुवंशी विश्वकर्मा- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य (शुक्राचार्य के पौत्र)।

विश्वकर्मा के पांच महान पुत्र-

विश्वकर्मा के उनके मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र थे। ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे। मनु को लोहे में, मय को लकड़ी में, त्वष्टा को कांसे एवं तांबे में, शिल्पी को ईंट और दैवज्ञ को सोने-चांदी में महारात हासिल थी। वास्तुशास्त्र के 18 प्रवर्तक आचार्यों में भी विश्वकर्मा को स्थान प्राप्त है । विश्वकर्मा-शिल्पशास्त्र का कर्त्ता एवं समस्त देवों का आचार्य है, आठों प्रकार की ऋद्धि-सिद्धियों का जनक है। प्रभास ऋषि का पुत्र और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र देवगुरु बृहस्पति का भांजा है।

ऋषि अंगिरा के वंशज -

विश्व को प्राचीनतम ग्रन्थ वेदों से ऋषियों द्वारा रचित ज्ञान मिला। महर्षि अंगिरा ने अथर्ववेद की रचना की, जिसका उपवेद अर्थवेद यानि शिल्प शास्त्र है, जिसमें सारे शिल्प- विज्ञान का वर्णन है। इसमें सुई से लेकर विमान निर्माण तक की विद्या का ज्ञान हैं। इसी वंश में ऋषि विश्वकर्मा हुए, जिन्होंने मानव कल्याण और भूमंडल की रचना को शिल्प विज्ञान के आविष्कार किये। वेदों में विश्वकर्मा जी की महिमा के अनेक मंत्र है। वाल्मीकि रामायण में गुरु वशिष्ठ शिल्प कर्म में लगे शिल्पियों को यज्ञकर्म में व्यस्त बताकर उनकी पूजा का आदेश देते है तथा ऋग्वेद में विश्वकर्मा जी को धरती तथा स्वर्ग का निर्माता कहा है।

यजुर्वेद में महर्षि दयानंद सरस्वती के भाष्य में कहा गया है कि विश्व के सभी कर्म, जिनके अपने किये होते है, ये वही विश्वकर्मा है शिल्प-संहिता के 18वें अध्याय में वर्णन है कि मनु के आग्रह पर विश्वकर्मा जी ने दूरदर्शन (दूरबीन)का अविष्कार किया था। संसार में मिस्र के पिरामिड, अजंता की गुफाएं, चीन की दीवार, आगरा का ताजमहल, पीसा की मीनार, वियना के मंदिर आदि के निर्माणकर्ता ऋषि विश्वकर्मा के वंशज है। विश्वकर्मा जी के पांच पुत्र हुए, जो विज्ञानाचार्य थे। मनु, मय, त्वष्ठा, शिल्पी और देवज्ञ। मय नामक शिल्पी ने युधिष्ठिर का महल बनाया था, जिसमें जल की जगह थल तथा थल के स्थान पर जल दृष्टिगोचर होता था। योगिराज श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र, रामायणकालीन पुष्पक विमान, दधीचि की हड्डियों से अमोघ शास्त्र बनाने वाले विश्वकर्मा जी थे। श्रीराम के लिए समुंद्र पर पुल बांधने वाले नल और नील विश्वकर्मा थे, जो सर्वविदित है। शिल्प विज्ञान एवं चरित्र निर्माण से भारत को गौरवांवित करता रहे। नव पीढ़ी तकनीकी शिक्षा, सदाचार और देशभक्ति का मूलमंत्र जीवन में अपनाये। मिस्त्र चीन जापान लंका अमेरिका आदि देशों में भी विश्वकर्मा की परम्परा के वास्तुकला के नायाब उदाहरण मिलते हैं ।

Updated : 15 Sep 2022 10:23 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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