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खास संयोग में मनाया जाएगा नागपंचमी का त्योहार, जानिए क्यों की जाती है नागों की पूजा

खास संयोग में मनाया जाएगा नागपंचमी का त्योहार, जानिए क्यों की जाती है नागों की पूजा
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वेबडेस्क। श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को नागों की पूजा का पर्व नागपंचमी मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नागों की पूजा की जाती है। गरुड़ पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नागपंचमी के दिन घर के अन्दर दूध तथा जल रखकर दोनों दरवाजे के दोनों तरफ नागों की मूर्ति बनाकर पूजन करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं । सर्पराजों का पूजन पंचमी को होना चाहिए। सुगंधित पुष्प तथा दूध सर्पों को अति प्रिय हैं।

नागपंचमी पर शुभ योग -

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार इस साल नागपंचमी पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग बन रहा है। जोकि बेहद मंगलकारी संयोग है, इस संयोग में भगवान शिव और नागदेवता के पूजन से मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है. h

पूजन विधि -

नागपंचमी के दिन सुबह के समय जल्दी जागकर स्नान कर लें। इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक कर बेलपत्र, चंदन, आंक के फूल, धतुरा, पुष्प, गंध आदि चढ़ाकर पूजन करें। इसके भोलेनाथ के गले सुशोभित नागों की पूजा करें। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद चने, खील बताशे और कच्चा दूध अर्पित करें।

नाग पंचमी की कथा :-

प्राचीन दन्त-कथाओं से ज्ञात होता है कि किसी ब्राह्मण के सात बहुएं थी। सावन का महीना शुरू होते ही छः बहुएं तो अपने भाइयों के साथ मायके चली गई लेकिन सातवीं के कोई भाई नहीं था, उसे बुलाता कौन ?बेचारी ने अति दुखित होकर पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग को भाई के रूप में याद किया । करुणा युक्त, दीन वाणी को सुनकर शेष जी वृद्ध ब्राह्मण के रूप में आये, और उसे लिवाकर चल दिये । घोड़ी दूर रास्ता तय करने पर उन्होंने अपना असली रूप धारण कर लिया। तब फन पर बैठाकर नाग-लोक ले गये । वह बहु नागलोक में नागों के साथ निश्चिन्त होकर रहने लगी।

पाताल लोक में जब वह निवास कर रही थी, उसी समय शेष जी की कुल परम्परा में नागो पत्नियों ने बहुत से बच्चों ने जन्म दिया। उन नाग बच्चों को सर्वत्र विचरण करते देख शेष नागरानी ने उस बहु को पीतल क एक दीपक दिया तथा बताया कि इसके प्रकाश से तुम अंधेरे में भी सब कुछ देख सकोगी । एक दिन अकस्मात उसके हाथ होन दीपक नीचे टहलते हुए नाग बच्चों पर गिर गया । परिणाम स्वरूप उन सब नाग बच्चों की थोड़ी पूंछ कट गई ।

इस घटना के बाद नागों ने उस भू को वापिस ससुराल भेज दिया। जब अगला सावन आया तो उस बहु ने दीवार पर नागदेवता की तस्वीर बनाकर विदिवत पूजन किया। उसी समय अपनी पूंछ कटने से नाराज नाग बालक उस बहू को मारकार बदला लेने के उद्देश्य से पृथ्वी लोक पर आ गए लेकिन उस स्त्री को अपनी ही पूजा में मग्न देख वह अत्यंत खुश हो गए और उनका क्रोध समाप्त हो गया। इसके बाद नागों ने बहन स्वरूप उस महिला से पूजन कराया और प्रसाद के रूप में दूध भी पिया। नागों ने उस बहु को नागकुल से निर्भय रहने का वरदान दिया। साथ ही उन्होंने कहा की श्रवण मॉस के शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो भी मनुष्य नागों का पूजन करेगा। उसकी हम सदैव रक्षा करेंगे।

Updated : 1 Aug 2022 9:29 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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