Home > राज्य > मध्यप्रदेश > मुरैना > चीता प्रोजेक्ट : सरकारी ढर्रे से बिगड़े हालात, नामीबिया के चिकित्सक से छिपाए गए तथ्य

चीता प्रोजेक्ट : सरकारी ढर्रे से बिगड़े हालात, नामीबिया के चिकित्सक से छिपाए गए तथ्य

मोहनदत्त शर्मा

चीता प्रोजेक्ट : सरकारी ढर्रे से बिगड़े हालात, नामीबिया के चिकित्सक से छिपाए गए तथ्य
X

फाइल फोटो 

नामीबिया के चिकित्सक की सलाह को कूनो प्रबंधन ने किया अनसुना, धात्री की चली गई जान

श्योपुर स्वदेश। भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा से जुड़ा श्योपुर का चीता प्रोजेक्ट अफसरशाही के लिए परम्परागत सरकारी प्रोजेक्ट से अधिक महत्व हासिल नहीं कर पा रहा है। जिन परिस्थितियों में यहां 9 चीतों की मौत हुई है उसने सरकारी सिस्टम की संवेदनशीलता को भी उजागर करने का काम किया है। ताजा प्रकरण चीतों की मौत की जांच के लिए नामीबिया से आये विशेषज्ञ चिकित्सक को जिस तरह से असहयोग किए जाने की पुख्ता खबरें सामने आई हैं उससे यही साबित होता है कि चीता प्रोजेक्ट को सरकारी ढर्रे की मानसिकता से चलाने का प्रयास किया जा रहा है।

11 जुलाई तेजस और 14 जुलाई सूरज की संक्रमण से हुई मौत के बाद नामीबिया से पशु चिकित्सक सर्जन डॉ माइक ट्रोफ्त बाड़ों से बाहर जंगल मे घूम रहे चीतों को ट्रेंकुलाइज करने और स्वास्थ्य परीक्षण करने बुलाया था। डॉ माइक कूनो पहुंचे तो उन्होंने तेजस और सूरज के रक्त के नमूने जांच के लिए मांगे लेकिन कूनो के वरिष्ठ अधिकारियों ने रक्त के नमूने उपलब्ध नहीं कराए। इतना ही नहीं डॉ माइक ने मादा चीता धात्री और निर्वा को पहले ट्रेंकुलाइज करने की सलाह दी थी, लेकिन कूनो प्रबंधन ने अनसुना कर दिया। ऐसे में संक्रमित मादा चीता धत्री की मौत हो गई। कूनो प्रबंधन की लापरवाही को चीतों की मौत की वजह माना जा रहा है।

बताते है कि डा. माइक ने जब मादा चीता धात्री और निर्वा को ट्रेंकुलाइज करने को कहा था उस दौरान कूनो से जुड़े अधिकारियों ने पहले नर चीतों को ट्रेंकुलाइज करने को कहा। अगर डॉ माइक की बात मानकर पहले धत्री और निर्वा को ट्रेंकुलाइज कर लिया होता तो धात्री को बचाया जा सकता था और अब तक गायब निर्वा भी सुरक्षित होती।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अभी तक हो चुकी है 6 चीतों और तीन शावकों की मौत

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका एवं नामीबियाई चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते 5 महीनों में यहां नौ मौत हो चुकी हैं। जिन चीतों की मौत हुई है उनमें 6 वयस्क और 3 शावक शामिल हैं। लगातार हो रही चीतों की मौत पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने नाराजगी जताई है। उन्होंने भी कूनो प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

शावकों का वजन 40 प्रतिशत बचा था तब लगी जानकारी

चार बच्चों को जन्म देने वाली मादा चीता ज्वाला के साथ शावकों को देखरेख में भी लापरवाही बरती गई। कूनो के निगरानी दल को शावकों का वजन 40 प्रतिशत बचा था तब जानकारी लगी। इतना ही नहीं मादा चीता दक्षा के सहवास में भी लापरवाही हुई। पिंडा गेम रिजर्व पार्क से लाई गई दक्षा के साथ जो नर चीते छोड़े वे भी पिंडा रिजर्व पार्क के थे। बताते हैं कि मादा चीता अपने पहचान वाले नर चीते के साथ सहवास अधिकांश तौर पर नहीं करती है और इसी संघर्ष में उसकी मौत हगाई।

Updated : 6 Aug 2023 1:45 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh News

Swadesh Digital contributor help bring you the latest article around you


Next Story
Top