पर्यावरण को स्वच्छ रखने पंडालों में विराजेंगे ईको फ्रेंडली गणेश जी
गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जायेगी। हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन जन्मोत्सव खुशी के साथ मनाया जाता है।
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ग्वालियर। हिन्दू धर्म में कोई शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जिससे सभी कार्य किसी भी बाधा के बिना पूरे हो जाएं। बता दें कि गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जायेगी। हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन जन्मोत्सव खुशी के साथ मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा को गाजे - बाजे के साथ घर में लाया जाएगा। पूरी विधि विधान से उनकी उपासना की जायेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पंडालों में विराजेंगे गणपति बप्पा-
शहर में कलाकारों ने गणेश की प्रतिमा को रिद्धि सिद्धि सहित आकार देना शुरू कर दिया है। कहीं छोटी तो कहीं बड़ी मूर्तियां तैयार की जा रही है। शहर में गणेश जी की सबसे बड़ी 21 फ़ीट की मूर्ति अचलेश्वर मंदिर के पास पंडाल में देखने को मिलेगी। इस मूर्ति को झाँसी के कलाकार आकार दे रहे हैं। जिसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। मूर्ति के अनुसार पंडाल तैयार किया जा रहा है।
ईको फ्रेंडली 100 मूर्तियों को 5 महीने में दिया आकार -
कलाकार वीरेंद्र नागवंशी ने बताया कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए ईको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की गई हैं। भगवान गणेश की मूर्तियों को मई माह से तैयार किया जा रहा हैं। 3 से 6 फ़ीट की 100 ईको फ्रेंडली मूर्तियों को तैयार करने में 5 माह का समय लगा है। जिन्हें 10 से ज्यादा लोगों ने आकार दिया है। अब मूर्तियों को रंग करके फाइनल टच दिया जा रहा है। इन मूर्तियों को खास मिट्टी से तैयार किया गया है। गणेश विसर्जन से पानी दूषित नहीं होगा और मिटटी के बने गणेश पूरी तरह पानी में घुल जाएंगे।
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