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अधिकारियों की लापरवाही के चलते अपनी पहचान खो रही है तानसेन की जन्म स्थली

संस्कृति विभाग के अधिकारी वर्ष में एक बार लेते हैं इस ऐतिहासिक स्थल की सुध, तानसेन समारोह के दौरान ही विभाग कराता है साफ-सफाई

अधिकारियों की लापरवाही के चलते अपनी पहचान खो रही है तानसेन की जन्म स्थली
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। संस्कृति विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से शहर से 46 किलोमीटर दूर स्थित तानसेन का जन्म स्थल बेहट अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। यहां प्रतिवर्ष होने वाले तानसेन समारोह के अंतिम दिन जिस स्थान पर संगीत सभा का आयोजन किया जाता है, झिलमिल नदी के किनारे स्थित झिलमिलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में जहां कभी संग्रीत सम्राट तानसेन सुरों का रियाज किया करते थे, आज वह स्थान विभिन्न समस्याओं से ग्रसित नजर आ रहा है। तानसेन की जन्म स्थली के पास स्थित साधना स्थल की सुध संस्कृति विभाग एवं जिला प्रशासन साल में एक बार उसी दिन लेता है, जिस दिन तानसेन समारोह की अंतिम सभा होती है। उसी दिन यहां रौनक नजर आती है। शेष पूरे वर्ष इस स्थान को देखने की सुध किसी को नहीं आती है। आज इस स्थान पर विभिन्न समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। साधना स्थल पर बने कुंड में जहां गंदा पानी भरा हुआ है वहीं किनारे पर कचरे के ढेर नजर आ रहे हैं। परिसर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट नजर आ रही है। साफ-सफाई के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल अपनी पहचान खोता जा रहा है। इस परिसर व मंदिर की देखरेख के लिए माफी ओकाफ विभाग द्वारा एक पुजारी भी रखा गया है। यहां पर रहने वाले पुजारी ने बताया कि यहां पर प्रशासन द्वारा साल में सिर्फ एक बार ही सुध ली जाती है। शेष पूरे वर्ष वह खुद ही मंदिर व साधना स्थल की देखरेख व साफ-सफाई करते हैं। उन्होंने बताया कि पानी की समस्या से यहां लगे पेड़ सूखते जा रहे हैं। वहीं पानी न होने की वजह से संगीत की शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे भी यहां आने से कतराते हैं। उन्होंने बताया कि इस शिव मंदिर का नाम झिलमिलेश्वर महादेव मंदिर इसलिए है क्योंकि यहां आला-ऊदल के गुरु झिलमिला ने शिव भगवान की प्रतिष्ठा की थी। मंदिर परिसर में बने कुंड में पानी के लिए एक मोटर तो लगा रखी है, लेकिन तालाब में गंदगी व मंदिर में बिजली न होने के कारण मोटर नहीं चलती। इस कारण मंदिर परिसर में लगे कुछ पेड़ सूखते जा रहे हैं।

किसे मिलेगा तानसेन सम्मान, नई सरकार करेगी तय

संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति मेंं हर साल आयोजित होने वाला संगीत समारोह इस बार 24 दिसम्बर से होने जा रहा है, लेकिन आचार संहिता लगी होने के कारण अभी यह तय नहींं हो पाया है कि इस साल तानसेन अलंकरण से किसे अलंकृत किया जाएगा। तानसेन समारोह का समापन 29 दिसम्बर को तानसेन की जन्म स्थली बेहट में आयोजित अंतिम संगीत सभा के साथ होगा। समारोह में जाने माने कलाकार अपने गायन व वादन की प्रस्तुति देंगे, साथ ही इस बार कला रसिकों को समारोह के दौरान तीन प्रदर्शनियां भी देखने को मिलेंगी। तानसेन अलंकरण के लिए कलाकार के नाम का चयन भोपाल में आयोजित होने वाली बैठक में किया जाएगा। यह बैठक नई सरकार के गठन के बाद संभवत: 13 दिसम्बर के बाद भोपाल में होगी, जिसमें तानसेन अलंकरण-2018 के लिए कलाकार का नाम समिति की सर्वसम्मति से तय किया जाएगा। वैसे तानसेन समारोह की तैयारियांं आयोजकों ने शुरू कर दी हैं।

Updated : 4 Dec 2018 3:10 PM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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