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रक्षाबंधन पर आज है भद्रा, यदि भाई को बांधी राखी तो लंकापति जैसा होगा हाल

12 तारीख को भी मनेगा रक्षाबंधन का त्योहार

रक्षाबंधन पर आज है भद्रा, यदि भाई को बांधी राखी तो लंकापति जैसा होगा हाल
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ग्वालियर, न.सं.। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया होने के कारण लोगों में असमंजस की स्थिति है कि बहने भाईयों को राखी कब बांधे। भद्रा को लेकर अलग-अलग ज्योतिषाचार्यों के अलग-अलग मत हैं। ज्योतिषाचार्यों की राय के अनुसार इस बार 11 अगस्त को अभिजीत मुहुर्त में सुबह 11:57 से दोपहर 12:50 बजे तक राखी बांधी जा सकती है। इसके बाद भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 08:51 बजे के बाद भी राखी बांधी जा सकती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 12 अगस्त को उदयाकाल में पूर्णिमा तिथि होने के कारण इस दिन भी बहने अपने भाईयों को राखी बांध सकती हैं। इस दिन राखी बांधना बहन और भाई दोनों के लिए शुभ है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद का कहना है कि रक्षाबंधन के दिन इस बार भद्रा रहेंगी। भद्रा तिथि में राखी बांधना और होली जलाना शास्त्र अनुसार निषेध है। भद्रा में यह दोनो त्योहार नहीं मनाना चाहिए। इस बार रक्षाबंधन के दिन 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 10:38 से 12 अगस्त को प्रात: 07:05 बजे तक है। 11अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही 10:38 बजे से भद्रा शुरू होगी जो रात्रि 08:50 बजे तक रहेगी। इसके बाद ही रात्रि 08:51 से 09:13 बजे तक (22 मिनट) प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में बहिनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधना चाहिए।

उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण 12 को भी बांध सकते हैं राखी:-

ज्योतिषाचार्यों की राय के अनुसार 12 अगस्त शुक्रवार को भी राखी बांधना शुभ है। 11 अगस्त को भद्रा होने और रात्रि में राखी बांधने का समय कम होने के कारण 12 अगस्त को भी राखी बांधी जा सकती हैं क्योंकि इस दिन पूर्णिमा सुबह 07:05 बजे तक ही है। जब कोई तिथि उदयाकाल में होती है तो उसका प्रभाव दिन भर माना जाता है। इसी दिन संस्कृत दिवस भी है, इसलिए शुक्रवार 12 अगस्त को पूरे दिन राखी का त्योहार मनाया जा सकता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो उदया तिथि है उसी का मान दिन भर रहेगा। अत: मांगलिक कार्य पूरे दिन मानाया जाएगा।

भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी?:-

रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था। भद्रा शनिदेव की बहन थी। भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा।

बाजारों में हो रही है राखी की बिक्री:-

रक्षाबंधन के इस त्योहार पर शहर के बाजार राखियों से सजे हुए हैं। बहनें बाजारों में पहुंचकर अपने भाईयों के लिए पसंदीदा राखी खरीद रही हैं। बुधवार को भी बाजारों में खरीदारों की अच्छी खासी भीड़ रही। इसके साथ ही चांदी, कपड़ा और कॉस्मेटिक बाजार भी गुलजार रहा। सूखे मेवे और घेवर आदि की मांग भी रही।

Updated : 11 Aug 2022 5:58 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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