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आउटसोर्स कर्मचारी घोटाला : 31 लोगों से एक एक लाख रूपए भर्ती के लिए, छह महीने का वेतन डकार गए

आउटसोर्स कर्मचारी घोटाला : 31 लोगों से एक एक लाख रूपए भर्ती के लिए, छह महीने का वेतन डकार गए
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ग्वालियर,न.सं.। पैसे लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी पर रखने के मामले में निगम के अधिकारी ही जांच के घेरे में आ रहे हैं, लेकिन यह कोई नया मामला नहीं है। जिन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है उनके द्वारा किए गए नए नए कारनामे लगातार सामने आ रहे है। पीएचई विभाग में सहायक यंत्री विष्णु पाल ने

सक्षम अधिकारी की स्वीकृति लिए बिना ही 31 लोगों को आउटसोर्स पर नौकरी पर रख लिया था। इन कर्मचारियों से भर्ती के नाम पर एक एक लाख तो लिए ही गए थे। साथ ही उन्हें छह छह महीने का वेतन तक नहीं मिला है। अब इस भर्ती घोटाले में एक नया वीडियों वायरल हुआ है, जिसमें अपर आयुक्त अतेन्द्र गुर्जर के स्टेनों मयंक श्रीवास्तव का नाम सामने आया है। इसमें आउटसोर्स कर्मचारियों ने नाम लते हुए कहा है कि मयंक श्रीवास्तव ने एक एक लाख रूपए लेकर नौकरी लगवाने के नाम पर 31 लोगों से लिए है। सहायक यंत्री विष्णुपाल के माध्यम से उनकी नौकरी भी लगवाकर उन्हें टंकियों पर तैनात किया गया। लेकिन छह महीने बीते जाने के बाद भी कर्मचारियों को वेतव नहीं मिला है। ऐसे में ठगी का शिकार हुए कर्मचारी अब प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलवाट और जिलाधीश मिलेंगे।

यहां बता दे कि सहायक यंत्री विष्णुपाल द्वारा 5 अप्रैल 2022 को 31 सुरक्षा गार्ड रखने के लिए शर्मा सिक्योरिटी को पत्र जारी किया। जिसमें आयुक्त की सक्षम स्वीकृति नहीं थी। उक्त सुरक्षा गार्डो को विष्णुपाल द्वारा प्रमाणित उपस्थिति पत्रक के आधार पर देयक सामान्य प्रशासन विभाग में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए गए। जिसका पूर्व देयक से मिलान करने पर पाया गया कि 31 गार्डो की आयुक्त स्वीकृति नहीं है और अवैध रूप से गार्डो को रखा गया है।

नोटशीट जारी की

इस मामले में निगमायुक्त द्वारा वेतन सेल के कर्मचारियों द्वारा उक्त गार्डो का वेतन रोकने के लिए नोटशीट वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्तुत की गई।राज सिक्योरिटी एजेंसी ने वर्ष 2016 से निगम में कर्मचारियों की सप्लाई का ठेका संभाला। तब से लेकर अब तक अफसर सिर्फ कंपनी का उपयोग ही करते आ रहे हैं। इस कंपनी ने कभी भी अपनी ओर से ठेके की शर्तों के अनुसार पूरे कर्मचारियों की सप्लाई निगम में नहीं की।

सहायक कारपेंटर से ही क्यों लिया जा रहा काम

उधर पार्क विभाग में सहायक कारपेंटर दीपक माहौर द्वारा फर्जी फाइलें बनाई जा रही है। इतना ही नहीं उनका भुगतना भी फर्जी तरीके से किया जा रहा है। अभी हाल ही में तार फैंसिंग की फाइल बनाई गई है। तार फैसिंग कहा लगाई गई है और किससे खरीदी गई है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। ठेकेदार कमल गुप्ता को फायदा पहुंचाने के लिए फाइल चलवा भी दी गई है।

वीडर मशीनों में कर दिया बड़ा घोटाला

पार्क विभाग द्वारा वर्ष 2016 में 25 वीडर मशीनें खरीदी गई थी। उसे बाद लगातार इन मशीनों को हर वष्र में खरीदा गया है। लेकिन मशीने कहां गई यह किसी को पता ही नहीं है। वर्तमान में पार्क विभाग के पास मात्र 15 मशीने है। सूत्रों की मानें तो हर वर्ष मशीनों को खरीदने के लिए टेंडर जारी किए जाते थे, जिसमें अगर 10 मशीने खरीदी गई है तो उनमें से सिर्फ पांच मशीनों का ही उपयोग किया जाता था, शेष मशीनों को अगले वर्ष इस्तेमाल कर उनका ही भुगतान करा लिया जाता था।

पार्क अधीक्षक और सहायक कारपेंटर अब लोकायुक्त के निशाने पर

बताया जा रहा है कि पार्क अधीक्षक मुकेश बंसल व सहायक कारपेंटर दीपक माहौर पर अब लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की नजर है। माहौर पर आय से अधिक सम्पत्ति जैसी जानकारी विभाग के पास जा पहुंची है।

Updated : 12 Sep 2022 6:36 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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