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मेरे इरादे बड़े थे, जिन्होंने मुझे रुकने नहीं दिया: भावना

मेरे इरादे बड़े थे, जिन्होंने मुझे रुकने नहीं दिया: भावना
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ग्वालियर, न.सं.। इंसान के इरादे पक्के हों और उसमें कुछ करने की हिम्मत हो तो वह बड़े से बड़े लक्ष्य को भेद सकता है। मेरे इरादे बड़े थे, जिन्होंने मुझे रुकने नहीं दिया और मैंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा कर ही दम लिया। इस अभियान के दौरान मैंने कई दर्दनाक मंजर भी देखे, लेकिन मैंने सबसे ऊंची चोटी पर फतह करने की ठान ली थी और मैं अपने इरादे में कामयाब भी रही। यह कहना है माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली भावना डेहरिया का जो छिंदवाड़ा के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। लेकिन वह ग्वालियर में कई कार्यक्रमों में आ चुकी है। उन्होंने एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा कर पूरे देश का नाम रोशन किया। वहीं लड़कियों लिए प्रेरणा के स्रोत भी बन गई हैं। भावना ने अपनी एवरेस्ट यात्रा का वृतांत सुनाते हुए बताया कि यह अभियान मेरे लिए एक मिशन था। अभियान के दौरान मुझे कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उसके बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी।

दिवाली पर किलिमंजारो की समिट पूरी की थी

भावना ने बताया कि भारत के दो सबसे बड़े त्यौहार पर्वतों की चोटियों पर मनाए। इससे पहले मैंने 27 नवंबर, 2019 को दिवाली के मौके पर अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो की समिट पूरी की थी। इस बार भी मैंने होली के मौके पर माउंट कोजिअस्को समिट पूरी की। मैं ऐसा कह सकती हूं कि ये समिट मेरे लिए बहुत ही यादगार रही।

Updated : 30 May 2020 7:20 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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