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ग्वालियर में जयारोग्य के ट्रॉमा सेन्टर का जल्द होगा विस्तर, रैम्प का काम लगभग पूरा

ग्वालियर में जयारोग्य के ट्रॉमा सेन्टर का जल्द होगा विस्तर, रैम्प का काम लगभग पूरा
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ग्वालियर। जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेन्टर का जल्द ही विस्तर किया जाएगा। नेत्र रोग विभाग को जल्द ही ट्रॉमा सेन्टर से जोडऩे के लिए रैम्प का निर्माण कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही ट्रॉमा में शामिल कर दिया जाएगा।

दरअसल ट्रॉमा सेन्टर में अंचल भर के मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। लेकिन ट्रॉमा सेन्टर में वर्तमान में 50 पलंग ही उपलब्ध हैं। जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 50 से अधिक रहती है। ऐसे में दुर्घटनाओं में घायल हुए गम्भीर मरीजों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा कई बार तो मरीजों को स्ट्रेचर पर लिटा कर ही उपचार दिया जाता है। इन्ही सब परेशानी को देखते हुए गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय प्रबंधन ने ट्रॉमा का विस्तार करने का निर्णय लिया है। इसके तहत माधव डिस्पेंसरी के प्रथम तल पर बने नेत्र रोग विभाग को ट्रॉमा में शामिल करने के लिए रैम्प का निर्माण कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है, जहां 50 मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था भी की जाएगी। उक्त विभाग को ट्रॉमा करने से ट्रॉमा में कुल पलंगों की क्षमता 100 हो जाएगी। इसके अलावा कैजुअल्टी में भी 30 पलंग उपलब्ध है। इस हिसाब से दोनों विभागों को जोड़ दिया जाए तो ट्रॉमा में पलंगों की क्षमता 130 हो जाएगी, जिससे मरीजों को भी काफी राहत मिलेगा।

ऑपरेशन के लिए भी नहीं करना पड़ेगा इंतजार

ट्रॉमा सेन्टर में वर्तमान में दो मेजर व दो माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। लेकिन ट्रॉमा के ऑपरेशन थिएटर 24 घंटे संचालित होते हैं। क्योंकि यहां न्यूरोसर्जरी व हड्डी के ऑपरेशन सबसे ज्यादा होते हैं। ऐसे में कई बार मरीजों को ऑपरेशन के लिए इंतजार भी करना पड़ता है। जबकि कुछ मरीजों को तो ऑपरेशन के लिए संबंधित विभाग में रैफर कर दिया जाता है। लेकिन नेत्र रोग विभाग में दो ऑपरेशन थिएटर भी बने हुए हैं, जिन्हें भी ट्रॉमा में शामिल कर लिया जाएगा। जिसके बाद मरीजों को ऑपरेशन के लिए भी इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

चिकित्सकों को भी मिल सकेंगे कक्ष

ट्रॉमा सेन्टर के वर्तमान भवन में न तो डयूटी चिकित्सक और न ही नर्सिंग स्टाफ के लिए पर्याप्त कमरे नहीं हैं। लेकिन नेत्र रोग विभाग के खाली भवन में पर्याप्त कक्ष बने हुए हैं। इसलिए यहां चिकित्सकों के लिए भी कक्ष उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इसके अलाव ट्रॉमा प्रभावी के लिए भी एक कक्ष उपलब्ध हो सकेगा।

रैम्प का दस से पन्द्रह दिन में पूरा हो जाएगा, जिसके बाद नेत्र रोग विभाग के खाली भवन को ट्रॉमा सेन्टर में शामिल कर दिया जाएगा। जिससे मरीजों को काफी राहत मिलेगी।

डॉ. अक्षय कुमार निगम

अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय

Updated : 31 Jan 2024 12:45 AM GMT
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