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स्वास्थ्य विभाग में आउट सोर्स कर्मचारियों का हो रहा शोषण, न मिल रहा पूरा वेतन, ना ही जमा हो रहा फंड

स्वास्थ्य विभाग में आउट सोर्स कर्मचारियों का हो रहा शोषण, न मिल रहा पूरा वेतन, ना ही जमा हो रहा फंड
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ग्वालियर। नगर निगम के हुए आउटसोर्स भर्ती घोटाले की तरह ही स्वास्थ्य विभाग में भी भर्ती के नाम पर जमकर जहां वसूली तो की ही जा रही है। वहीं कर्मचारियों को तय वेतन से कम भुगतान भी किया जा रहा है। दरअसल वर्ष 2014-15 में एनएचएम के तहत संविदा पर प्रदेश भर में संविदा पर स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न संस्थाओं में सपोर्ट स्टाफ को पदस्थ किया गया था। इसमें जिले में भी 55 सपोर्ट स्टाफ को पदस्थ किया गया। लेकिन 27 जुलाई 2015 में एनएमएच द्वारा एक आदेश जारी करते हुए भर्ती प्रक्रिया में एकरूपता का पालन न किए जाने की बात कहते हुए सभी कर्मचारियों को रोगी कल्याण समिति के तहत आउट सोर्स करने के की बात कही गई

आदेश के खिलाफ सभी कर्मचारी न्यायालय की शरण में पहुंचे और उन्हें स्टे भी मिल गया। लेकिन मार्च 2018 में एनएमएच ने फिर से आदेश जारी करते हुए सभी कर्मचारियों को आउट सोर्स पर किया गया। लेकिन जिले की विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं में पदस्थ सपोर्ट स्टाफ को एक समान वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। संस्थाओं में पदस्थ किसी कर्मचारी को पांच तो किसी को चार हजार तक वेतन दिया जा रहा है। जबकि एनएचएम द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि सभी स्टाफ को कलेक्ट्रेट दर भी भुगतान किया जाए।

ईपीएफ का भी अता पता नहीं

55 कर्मचारियों में से सात कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें अस्पताल की रोगी कल्याण समिति और अन्य सभी कर्मचारियों को वेतन आउटसोर्स एजेंसी द्वारा दिया जाता है। लेकिन अधिकांश कर्मचारियों का ईपीएफ नहीं काटा जा रहा है। जबकि उक्त कर्मचारी जब एनएचएम के तहत भर्ती हुए थे, उस समय उनका ईपीएफ कटता था। लेकिन जब से कर्मचारी आउटसोर्स पर गए हैं तब से उनका ईपीएफ कटना भी बंद हो गया।

3 से 4 लाख तक में हुई भर्ती

सपोर्ट स्टाफ की भर्ती के लिए कुछ कर्मचारियों से तीन से चार लाख तक रुपए वसूले गए हैं। नाम न छापने की शर्त पर जिला अस्पताल में पदस्थ एक कर्मचारी ने बताया कि पूर्व सीएमएचओ डॉ. एस.एस. जादौन के समय नौकरी के लिए उससे 4 लाख रुपए लिए गए हैं, जो एक चिकित्सक के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तक पहुंचाए गए थे।

अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक का हिस्सा

नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि उनकी वेतन से कटौती की जाती है, उसमें से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर ठेकेदारों तक का हिस्सा होता है। जिसको लेकर कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन आज दिन तक किसी भी अधिकारी ने कार्रवाई नहीं की।

दस वर्ष से कर रहीं काम, ठेकेदार नहीं करते बात

बरई स्थित एनआरसी केन्द्र में पदस्थ बबली निगम का कहना है कि वह दस वर्ष से केयर टेकर के रूप में काम कर रही हैं। पहले उनकी नियुक्ति एनआरएमएम के तहत संविदा पर हुई और अब आउट सोर्स कम्पनी सन साइन के माध्यम से आउट सोर्स से कर दिया गया। लेकिन उन्हें सिर्फ छह जार रूपए वेतन दी जा रही है। जबकि ईपीएफ का अता पता ही नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर ईपीएफ को लेकर ठेकेदार से बाद भी करते हैं तो वह बात करने से इंकार कर देते हैं।

6500 वेतन में कर रही काम

मुरार प्रसूति गृह के एनएनसीयू में सुरक्षाकर्मी के पद पर काम करने वाली कनक गुर्जर का कहना है कि उन्हें शर्म सिक्योरिटी द्वारा सिर्फ 6 हजार 500 दिए जा रहे हैं। इसके अलावा पिछले छह माह से उनका ईपीएफ भी नहीं दिया जा रहा है। जिसको लेकर उन्होंने अधिकारियों से शिकायत भी की दी।

कर्मचारियों को वेतन काट कर क्यों दिया जा रहा है और उनका ईपीएफ क्यों जमा नहीं किया जा रहा। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. मनीष शर्मा

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

Updated : 11 Sep 2022 7:09 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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