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मध्यप्रदेश में सियासी संकट पर SC में गुरुवार को भी होगी सुनवाई

मध्यप्रदेश में सियासी संकट पर SC में गुरुवार को भी होगी सुनवाई
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नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में सियासी संकट पर कल यानि 19 मार्च को भी सुनवाई जारी रहेगी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोई भी आदेश जारी नहीं किया।

सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि 16 विधायकों को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। तब बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने इसे गलत बताया। मनिंदर सिंह ने कहा कि कोई हिरासत में नहीं है। दवे ने कहा कि कोर्ट बाद में विस्तार से मामले की सुनवाई करे। विधानसभा के स्पीकर की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा। इसका शिवराज सिंह चौहान के वकील मुकुल रोहतगी ने तीखा विरोध करते हुए कहा कि हम अभी कोर्ट से कोई अंतरिम आदेश चाहते हैं।

सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह 1975 में सत्ता के लिए देश पर इमरजेंसी थोपने वाली पार्टी है। किसी भी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है। रोहतगी ने कहा कि सत्ता के लिए अजीब दलीलें दी जा रही हैं। जिसके पास बहुमत नहीं है वह एक दिन सत्ता में नहीं रह सकता। रोहतगी ने कहा कि यहां पहले खाली सीटों पर चुनाव की दलील देकर 6 महीने का प्रबंध करने की योजना है। चुनाव करवाना चुनाव आयोग का काम है। यहां इस पर विचार नहीं हो रहा, फ्लोर टेस्ट पर हो रहा है । तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से पहले स्पीकर का संतुष्ट होना ज़रूरी है।

मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि राज्य में सरकार के बहुमत खो देने की शंका होने पर राज्यपाल को ज़रूरी कदम उठाने होते हैं। अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजने से पहले राज्यपाल को सभी संभावित विकल्पों पर विचार करना होता है। तब कोर्ट ने पूछा कि 2018 में कांग्रेस ने 114+7 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। 6 इस्तीफे मंज़ूर हुए। क्या अब स्थिति 108+7 की है? तब रोहतगी ने कहा कि इन आंकड़ों में आपको नहीं पड़ना चाहिए। राज्यपाल भूमिका निभा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि लेकिन 16 के इस्तीफे लंबित हैं। सरकार कहती है कि उनको भोपाल लाकर ही फ्लोर टेस्ट हो।

कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या कोर्ट विधायकों को भोपाल आने को कह सकता है ? हम यही कर सकते हैं कि देखें कि वह लोग स्वतंत्र निर्णय ले पा रहे हैं या नहीं। तब रोहतगी ने कहा कि वीडियो है जिसमें विधायक कह रहे हैं कि उन पर कोई दबाव नहीं है। वह अपनी मर्ज़ी से बंगलुरू में हैं। रोहतगी ने कहा कि अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। तब कोर्ट ने कहा कि हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं ? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम टीवी पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते हैं। देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहे करें। सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें। तब रोहतगी ने कहा कि 16 विधायकों को जजों के चैंबर में पेश कर देते हैं। आप मिल लीजिए। जजों ने इससे मना किया। इसके बाद रोहतगी ने कहा कि फिर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को उनसे मिलने और वीडियो बनाने को कहिए, लेकिन जजों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस्तीफा और अयोग्यता में फर्क का ध्यान रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में 22 विधायकों के इस्तीफे का मामला आया है। हम इस बात का समर्थन करते हैं कि सरकार ने बहुमत खो दिया है और तुरंत फ्लोर टेस्ट कराया जाना चाहिए। मनिंदर सिंह ने कहा कि विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर के बताया है कि वह अपनी इच्छा से बंगलुरू में हैं। इस्तीफा देना उनका संवैधानिक अधिकार है और उस पर फैसला लेना स्पीकर का कर्तव्य। वह इस्तीफों को लटका कर नहीं रख सकते।

विधानसभा के स्पीकर की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद कोर्ट ने दखल दिया था। यहां विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है। स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दिया जा सकता। लोग चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव लाएं। गवर्नर क्यों आदेश दे रहे हैं। सिंघवी ने कहा कि 19 इस्तीफे संदिग्ध हैं। 7 लोगों के इस्तीफे एक ही व्यक्ति ने लिखे। 2 लोगों ने 6-6 इस्तीफे लिखे। बस विधायकों से दस्तखत ले लिए गए। सबकी भाषा मिलती-जुलती है। स्पीकर बिना संतुष्ट हुए इस्तीफों पर फैसला नहीं ले सकते हैं।

सिंघवी ने कहा कि क्या चलती विधानसभा में स्पीकर की उपेक्षा कर गवर्नर के आदेश पर कार्रवाई होगी? कोर्ट ऐसा आदेश न दे। यह संवैधानिक पाप होगा। तब कोर्ट ने कहा कि या तो आप 16 का इस्तीफा स्वीकार करें या नामंज़ूर कर दे। आपके यहां बजट सत्र को ही 10 दिन स्थगित कर दिया गया। बिना बजट के राज्य कैसे चलेगा ? तब कपिल सिब्बल और सिंघवी ने कहा कि कर्नाटक मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस्तीफे और अयोग्यता पर स्पष्ट अंतर कर देता है। सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल स्पीकर को ये निर्देश नहीं दे सकते हैं कि विधानसभा कैसे चलाना है।

Updated : 18 March 2020 12:45 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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