'सिया' केन्द्र से मांगेगा कार्रवाई के अधिकार
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नियमों का पालन नहीं करा रहे जिलाधीश और प्रदूषण विभाग के अधिकारी...
विशेष संवाददाता ♦ भोपाल
मध्यप्रदेश में खनिज, बांध, पुल, आवासीय परियोजनाओं, औद्योगिक इकाईयों आदि को निर्धारित पर्यावरणीय मानकों के परिपालन के क्रम में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने के लिए गठित राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सिया) अब केन्द्र सरकार से अपने लिए विशेष अधिकारों की मांग करेगी। केन्द्र सरकार से 'सिया' को यह विशेष अधिकार मिलते हैं तो 'सिया' मप्र में पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त कर मानकों का पालन नहीं करने पर वाली इकाईयों की जांच, उन पर कार्रवाई और पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त करने जैसी कार्रवाई कर सकेगी।
उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य पर्यावरण आंकलन समिति 'सेक' और राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सिया) की स्वीकृति के बाद संचालित विभिन्न औद्योगिक एवं खनिज इकाईयों पर मानकों के परिपालन और निगरानी तथा कार्रवाई का अधिकार जिलाधीशों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को दिए गए हैं। मध्यप्रदेश में अधिकांश खनिज और औद्योगिक इकाईयां ऐसी है जो स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में बैठे अधिकारियों से सांठगांठ कर पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मानकों को खूंठी पर टांगकर धड़ल्ले से अपना कारोबार संचालित कर मोटा मुनाफा कमा रही हैं। रिश्वतखोरी के चलते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारी न केवल निरीक्षण की फर्जी रिपोर्ट लगाते हैं, बल्कि वार्षिक रूप से इनकी स्वीकृति को अगले वर्षों के लिए पुनर्जीवित भी करते रहते हैं।
राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण के पास लगातार इस तरह की शिकायतें आ रही रहीं थीं कि पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने के बाद प्रदेश में कई औद्योगिक इकाईयां खासकर खनिज कारोबारियों द्वारा राज्य स्तनीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण 'सिया' द्वारा निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। चूंकि पर्यावरणीय मानकों के परिपालन हेतु जांच एवं कार्रवाई के अधिकार 'सिया' को नहीं हैं। इस कारण इस तरह की निरंतर मिल रहीं शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा था। इससे प्रदेश की जनता में 'सिया' जैसी कमेटी के खिलाफ अविश्वास जैसा भाव भी पैदा हो रहा था। इसी कारण विगत दिवस हुई राज्य स्तनीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण 'सिया' के अध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य स्तनीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण 'सिया' की ओर केन्द्र सरकार को एक अनुरोध पत्र भेजकर समिति द्वारा निर्धारित मानकों की जांच, कार्रवई एवं पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त किए जाने जैसे अधिकार दिए जाने की मांग की जाएगी। इस तरह के अधिकार प्राप्त कर 'सिया' न केवल सशक्त बनेगी बल्कि प्रदेश की जनता में उनके प्रति विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
एनजीटी के निर्देश पर छिने डिआ-डेक के अधिकार
खनिज एवं औद्योगिक इकाईयों में पर्यावरणीय स्वीकृति दिए जाने में गड़बड़ी के चलते विगत माह राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एनजीटी) के निर्देश पर जिला स्तरीय प्रर्यावरण प्रभाव निर्धारिण प्राधिकरण (डिया) और जिला पर्यावरण आंकलन समिति (डेक) के खनिज के लिए पांच हेक्टेयर तक की अनुमति दिए जाने जैसे अधिकार छिन चुके हैं। इस कार्य को भी अब 'सिया' द्वारा किया जा रहा है। खास बात यह है कि 'डेक' और 'डिया' जैसी समितियों में स्थानीय अधिकारियों के अलावा कुछ सामाजिक क्षेत्र के प्रबुद्धजन शामिल होते थे। जिलों से पर्यावरणीय स्वीकृतियों में लगातार गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की शिकायतें सरकार के पास पहुंच रही थीं। लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही थी। एनजीटी को इस तरह की शिकायत मिलने और इसके परीक्षण के बाद एनजीटी ने जिला स्तरीय दोनों समितियों के अधिकारों पर रोक लगाते हुए इसे राज्य स्तरीय समितियों 'सेक' और 'सिया' को सौंप दिया है।
प्रदेशभर से आ रहीं शिकायतों के बाद 'सिया' की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि केन्द्र सरकार को एक अनुरोध पत्र भेजकर निरीक्षण, कार्रवाई और ईसी निरस्त किए जाने के अधिकारों की मांग की जाएगी। इससे 'सिया' को अधिक सशक्त बनाया जा सकेगा।
राकेश कुमार श्रीवास्तव,
अध्यक्ष-राज्य स्तनीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण मप्र
Naveen Savita
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