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मुख्य सूचना आयुक्त सेवानिवृत्त, 'बेकाम' हुआ आयोग

मुख्य सूचना आयुक्त सेवानिवृत्त, बेकाम हुआ आयोग
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26 आवेदन मुख्य सूचना आयुक्त के लिए और 69 आवेदन सूचना आयुक्तों के लिए आए

प्रशासनिक संवाददाता भोपाल

मप्र राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त केडी खान शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गए। उनके साथ ही सूचना आयुक्त आत्मदीप भी सेवानिवृत्त हुए हैं। एक अन्य सूचना आयुक्त सुखबीर सिंह भी इसी माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। मुख्य सूचना आयुक्त के नहीं रहने से फिलहाल आयोग बेकाम हो गया है। यानी अब कोई भी सुनवाई नहीं हो पाएगी। दरअसल आयोग के एक्ट में यह प्रावधान है कि बिना मुख्य सूचना आयुक्त के आयोग की शक्तियां क्षीण है, इसलिए मुख्य सूचना आयुक्त का होना जरूरी है। इधर मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 26 और सूचना आयुक्तों के लिए 69 आवेदन सामान्य प्रशासन विभाग के पास पहुंचे हैं। इनमें कई आईएएस, सेवानिवृत्त आईएएस, आईएफएस, पत्रकार सहित अन्य लोग हैं।

मप्र राज्य सूचना आयोग के कामकाज की गति एक बार फिर धीमी हो जाएगी। दरअसल आयोग अपने गठन से लेकर अब तक कई बार इसकी जद में आ चुका है। कई बार ऐसी स्थिति बनी कि आयोग में कभी मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति हुई तो सूचना आयुक्त नहीं रहे और सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां हुईं तो मुख्य सूचना आयुक्त नहीं रहे। आयोग के एक्ट में है कि जब तक पूरा फोरम नहीं होगा तब तक आयोग अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकेगा। अब एक बार फिर इस तरह की स्थितियां निर्मित हुईं हैं।

आवेदन बुलाई, लेकिन प्रक्रिया धीमी

सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र तो बुलवा लिए हैं। मुख्य सूचना आयुक्त बनने के लिए 26 आवेदन आए हैं तो वहीं सूचना आयुक्तों के लिए 69 आवेदन प्राप्त हुए हैं। फिलहाल अब तक समिति का गठन नहीं किया गया है। समिति के गठन के बाद समिति इस मामले में विचार करेगी और उसके बाद सूचना आयोग में नियुक्तियां हो सकेंगी। सरकार के पास इन नियुक्तियों के लिए फरवरी का महीना ही है, क्योंकि मार्च के प्रथम सप्ताह में कभी भी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील हो सकती है। इससे पहले सरकार को मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्तियां करनी होंगी।

इधर राज्य सूचना आयोग पर उठे सवाल, मुख्यमंत्री से हुई शिकायत

मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्त की सेवानिवृत्ति के बाद आयोग के कामकाज पर ही सवाल उठाए गए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी शिकायत की गई है। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. प्रकाश अग्रवाल ने सूचना आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत करते हुए कहा है कि उन्होंने आयोग में एक मामले की अपील लगाई थी, जिसमें एक माह में जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया था, लेकिन दो साल बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन एवं अन्य सुविधाएं नहीं मिलने के बाद आवेदक मनोज पढ़रिया ने आयोग के समक्ष आरटीआई के माध्यम से अपनी पीड़ा प्रस्तुत की। लेकिन उसका निराकरण भी आज तक नहीं हो सका। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि न तो आयोग की वेबसाइट अपडेट होती है और न ही यहां पर कर्मचारी हैं।

सेवानिवृत्ति से पहले दिया पांच साल के कामकाज का ब्यौरा

मप्र के राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने अपना कार्यकाल पूर्ण होने से ठीक पहले एक और नवाचार किया है। उन्होंने अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में किए गए कामकाज का ब्यौरा जनता के सामने पेश किया है। केन्द्रीय व राज्य सूचना आयोगों के इतिहास में देश-प्रदेश में यह पहला अवसर है, जब किसी सूचना आयुक्त ने अपना रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक किया है। इस मामले में सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सार्वजनिक दायित्व का निर्वहन करने वाले सभी लोग जनता के प्रति जवाबदेह हैं, इसलिए ऐसे सब जिम्मेदार लोगों को स्वत: पहल कर, पदेन हैसियत से किए गए कामों का ब्यौरा जनता के सामने पेश करना चाहिए।

सूचना आयुक्त आत्मदीप द्वारा जारी रिपोर्ट कार्ड में बताया गया है कि 11फरवरी 2014 से अब तक के 5 वर्षीय कार्यकाल में उन्होंने प्रदेश के विभिन्न जिलों की खासकर ग्वालियर, चंबल व रीवा संभागों की 5000 से अधिक अपीलों व शिकायतों का निराकरण किया है और सूचना के अधिकार की अवज्ञा करने वाले 21 लोक सेवकों पर 3 लाख 13 हजार 500 रुपए के जुर्माना व हर्जाना भी लगाया है। साथ ही कई ऐसे फैसले किए जो नजीर बने हैं। उन्होंने पुनर्गठित आयोग की पहली बैठक में ही प्रस्ताव पारित करा कर प्रदेश में पहली बार वीडियो कान्फ्रेंसिंग से अपीलों की सुनवाई शुरू कराई। साथ ही देश में पहली बार सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सभी संभागों में लोक अदालतें लगाने की नई परिपाटी शुरू कराई, जिसके जरिए सैकड़ों अपीलों का निपटारा किया गया।

Updated : 8 Feb 2019 6:29 PM GMT
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Naveen Savita

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