अफसरों ने खुद को बचाने के लिए नहीं की घोटाले की जांच
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नगर निगम में डीजल और वर्कशॉप घोटाला
मध्य स्वदेश संवाददाता भोपाल
नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त एमपी सिंह एक बार फिर घेरे में हैं। इस बार उनकी जांच करने का काम नगरीय विकास संचालनालय को सौंपा गया है। गत दिवस नगरीय विकास मंत्री जयवर्द्धन सिंह के निर्देश के बाद जांच की कार्यवाही शुरू होने के आसार हैं। इससे पहले भी उनके खिलाफ नगर निगम परिषद की बैठक में नेता प्रतिपक्ष मोहम्मद सगीर और अन्य कांग्रेसी पार्षद ने यह मामला उठाया था लेकिन उसको दबा दिया गया है।
बड़ा सवाल...ऐसी जांच पहले क्यों नहीं हुई
तत्कालीन निगम आयुक्त छवि भारद्वाज ने केन्द्रीय कर्मशाला में छापामारी कर फर्जीवाड़ा पकड़ा था। इसके बाद डीजल टैंक में कार्रवाई करते हुए कार, जेसीबी तक कार्रवाई की थी, लेकिन पानी के टैंकरों के रिकार्ड की जांच नहीं की थी। नहीं तो उसी समय यह गड़बड़ी पकड़ में आ जाती। डीजल चोरी की शिकायतें आती रहीं, लेकिन अफसरों ने जान बूझकर आंखे मूंद ली थी। हैरानी बात तो यह है कि निगम के नए आयुक्त बी.विजय दत्ता ने अभी तक इसका औचक निरीक्षण नहीं किया है।
30 करोड़ का घपला
हकीकत तो यह है कि नगर निगम के लिंक रोड तीन स्थित पेट्रोल-डीजल में हुए 30 करोड़ का घपला बगैर अफसरों की जानकारी में आए संभव नहीं था। तकरीबन हर आयुक्त ने डीजल चोरी के खेल को पकड़ा, लेकिन कुछ ही दिनों में मामला दब जाता। हाल ही में आरटीआई में मिले दस्तावेज जब उजागर हुए तो मीडिया के दबाव में अफसर सक्रिय हुए। 21 जुलाई को डीजल टैंक के प्रिंटर से लेकर सीसीटीवी आदि की गड़बड़ी भी पकड़ी, लेकिन टैंक प्रभारी और पार्षद प्रकृांत तिवारी के भाई मधुसूधन तिवारी पर कार्रवाई नहीं की गई। उसके रसूख की वजह से ही लगातार डीजल टैंक से डीजल चोरी होता गया। कर्मचारी, अफसर और जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से हमेशा से ही ईंधन की चोरी होती रही। परिषद में हर बार बजट में खरीदी का आंकड़ा बढ़ता गया पर किसी ने इसकी जांच की जहमत नहीं उठाई। अपर आयुक्त जैसे बड़े अफसर तक इसमें शामिल रहे। जनप्रतिनिधियों को परिवहन शाखा द्वारा डीजल से लेकर लग्जरी कारें देकर इस पर पर्दा डाला जाता रहा।
आरटीआई से ऐसे खुला मामला
आरटीआई कार्यकर्ता अजय पाटीदार ने परिवहन शाखा में जानकारी मांगी तो इसमें गड़बडिय़ां उजागर हुईं। इसके बाद निगम आयुक्त ने कार्रवाई शुरू कर दी। गुरुवार की रात विधानसभा हाइडेंट के टायलेट में केन में डीजल जब्त किया गया।
फिर इसको आधार बनाकर शुक्रवार को निगम आयुक्त छवि भारद्वाज ने टैंक पर छापेमारी की और प्रथम दृष्टया टैंक प्रभारी मधुसूदन तिवारी, हाइडेंट प्रभारी राजकुमार पटेल को निलंबित कर दिया। साथ ही 25 दिवसीय आठ वाहन चालकों को हटा दिया। कम ट्रिप के बाद ज्यादा डीजल खर्च करने के रिकार्ड से चोरी पकड़ में आई।
ऐसे चोरी होता रहा डीजल
♦ ज्यादातर गाडिय़ों के माइलो मीटर जान बूझकर खराब कर दिए जाते हैं, इससे यह पता नहीं चल पाता कि गाड़ी कितने कि.मी. दूरी तक चली। फिर ट्रिप की संख्या ज्यादा दर्शाकर डीजल निकाल लिया जाता था। इसमें डीजल टैंक प्रभारी से लेकर वाहन चालक तक मिले होते थे।
♦ भानपुर खंती में जेसीबी और डंपर लगे होते थे उस दौरान डिब्बे से ईंधन भेजा जाता था। लेकिन इसे गाडिय़ों में भरने के बजाए सीधे बेच दिया जाता था। हालांकि अब डिब्बे की इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया।
♦ वाहन में ईधन कितना ईंधन भरा गया, किस वाहन में कितना निकाला गया। जानकारी खत्म करने के लिए डिस्प्ले और प्रिंटर खराब करवा दिए गए। जिसे दो सप्ताह पहले ही सुधरवाया गया है।
♦ इंडेंट बुक में फर्जी हस्ताक्षर करके डीजल निकालते रहे लेकिन अफसरों ने निगरानी नहीं की थी।
Naveen Savita
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