- द्रौपदी मुर्मू का चयन महिला सशक्तीकरण के संकल्प का प्रतिबिंब
- योगी आदित्यनाथ ने पेश किया रिपोर्ट कार्ड, कहा- सेवा, सुरक्षा और सुशासन के लिए समर्पित रहे 100 दिन
- रानी घाटी मंदिर न्यास की जमीन पर असामाजिक तत्वों ने किया था कब्जा, पुलिस ने खाली कराई
- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हासिल किया विश्वास मत, 164 विधायकों का मिला समर्थन
- देश में बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या, 24 घंटों में मिले 16,135 नए मरीज
- शिवसेना पर दावे की लड़ाई पहुंची सुप्रीम कोर्ट, 11 जुलाई को होगी सुनवाई
- लगातार चुनाव हार रह अखिलेश यादव का बड़ा फैसला, सपा की सभी कार्यकारिणी भंग की
- अर्थवयवस्था के लिए अच्छी खबर, तीन हफ्ते बाद बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार, 2.7 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी
- दो भागों में रिलीज होगी मणिरत्नम की फिल्म पोन्नियिन सेलवन, पोस्टर आया सामने
- IND vs ENG Test : भारत के 416 रन के जबाव में इंग्लैंड के पांच विकेट पर 84 रन

राजस्थान में गहलोत सरकार से नाराज युवा ब्रिगेड, पायलट के बाद लिस्ट में ये...नाम जुड़े
X
जयपुर। उदयपुर में हुए कांग्रेस नव संकल्प शिविर में कांग्रेस ने भले ही युवाओं को राजनीति में आगे लाने के लिए पार्टी में पचास प्रतिशत पद देने की बात कही हो, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के युवाओं का नव संकल्प फार्मूला फेल हो रहा है। डूंगरपुर विधायक और राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा के विधायक पद से इस्तीफे की धमक अभी पूरे प्रदेश में गूंज ही रही थी कि अब खेल मंत्री अशोक चांदना ने मंत्री पद को जलालत बताते हुए सीएम अशोक गहलोत से मंत्री पद से मुक्ति देने की पेशकश ने राजनीतिक हलकों में धमाका कर दिया। उनके ट्वीट के बाद अब नौकरशाही पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिन युवाओं को कांग्रेस पार्टी में आगे लाने के लिए उदयपुर के चिंतन शिविर में 50 प्रतिशत पद देने का फार्मूला लेकर आई थी, वह फार्मूला 10 दिन में ही युवा विधायकों की नाराजगी के चलते फेल होता दिख रहा है। राजस्थान में चुनाव जीत कर आए ज्यादातर युवा विधायक नाराज बताए जा रहे हैं और अब वह सरकार की नौकरशाही के कब्जे से नाराज होकर खुले में इस्तीफा देकर नाराजगी जता रहे हैं। नौकरशाही के कामकाज पर सवाल उठाते हुए इस्तीफे की पेशकश करने वाले मंत्री अशोक चांदना मंत्री बनने से पहले राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे। चांदना की उम्र 38 साल है और वह सरकार के सबसे महत्वपूर्ण युवा विधायकों में से एक हैं और मुख्यमंत्री गहलोत के नजदीकी माने जाते हैं।
राजस्थान यूथ कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष और डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने जब अपने क्षेत्र में पट्टे नहीं वितरित करने पर प्रदर्शन किया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया, जिससे नाराज होकर गणेश घोघरा ने मुख्यमंत्री के सामने विधायकी से इस्तीफा दे दिया। प्रतापगढ़ से कांग्रेस के विधायक रामलाल मीणा भी गणेश घोघरा के साथ प्रदेश सरकार से नाराजगी दिखा रहे हैं। वह डूंगरपुर में पार्टी के कमजोर होने की बात खुले में सोशल मीडिया पर कर रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की तेजतर्रार महिला विधायक दिव्या मदेरणा भी लगातार गहलोत सरकार की ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठा रही हैं। चाहे पीएचईडी विभाग में सैक्रेटरी के विभाग चलाने और मंत्री के रबड़ स्टैंप होने के आरोप हों या फिर राजस्थान पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करना हो, दिव्या मदेरणा लगातार नौकरशाही के हावी होने की बात कहती नजर आती है।
कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा जेईएन मारपीट के मामले में खुद पर मुकदमा और उसके बाद खुद की गिरफ्तारी से नाराज हैं। वे राजस्थान के पुलिस महकमे पर लगातार कड़ा प्रहार करते दिखाई दे रहे हैं। एआईसीसी के सचिव और उत्तरप्रदेश में प्रियंका गांधी के सहयोगी धीरज गुर्जर ने भी नौकरशाही को लेकर गहलोत सरकार को चेताते हुए यहां तक कह दिया कि नौकरशाही किसी की नही होती। जब सरकार सोचती है कि वो साथ है, उस समय वो हमारी कब्र खोद रही होती है।
गहलोत सरकार की कार्यशैली पर सबसे पहले सवाल खड़े करने वाले सचिन पायलट को तो राजस्थान के युवाओं का प्रतिनिधि माना जाता था। पायलट की गहलोत सरकार के कामकाज से नाराजगी और उनके साथ खड़े कई विधायक ज्यादातर युवा नेता ही हैं। अगर उस संख्या को भी जोड़ दिया जाए तो नाराज युवा विधायकों की संख्या कहीं ज्यादा है।