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प्रधानमंत्री ने वाराणसी को दिया रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, शिंजो आबे को किया याद

प्रधानमंत्री ने वाराणसी को दिया रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, शिंजो आबे को किया याद
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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से भारत और जापान की चिर पुरातन दोस्ती को नई ऊंचाई दी। उन्होंने कहा कि चाहे सामरिक क्षेत्र हो या आर्थिक, जापान आज भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में से एक है। हमारी दोस्ती को इस पूरे क्षेत्र की सबसे प्राकृतिक भागीदारी में से एक माना जाता है। भारत और जापान की सोच है कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। ये विकास सर्वमुखी होना चाहिए, सबके लिए होना चाहिए और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए।

परिसर में रुद्राक्ष का पौधा रोपित किया -

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महज पांच घंटे के लिए आये प्रधानमंत्री ने बीएचयू के आईआईटी मैदान में 1475 करोड़ की परियोजनाओं का सौगात देने के बाद जापान के साथ मैत्री के प्रतीक अंतर राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष का लोकार्पण किया। परिसर में रुद्राक्ष का पौधा रोपित करके प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में हाईस्पीड रेल, डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जापान के सहयोग से न्यू इंडिया की ताकत बन रहे हैं। हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए।

शिंजो आबे को किया याद -

जापान के वर्तमान प्रधानमंत्री का रुद्राक्ष के निर्माण में सहयोग करने के लिए आभार जताकर प्रधानमंत्री ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को खास तौर पर याद किया। उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब वह प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे तो रुद्राक्ष के आइडिया पर लंबी चर्चा की। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया और जापान के कल्चर पर परफेक्शन और प्लानिंग के साथ काम किया और आज भव्य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भवन भविष्य की संभावनाओं का स्रोत है। इससे विकास के साथ दोनों देशों के रिश्तों में मिठास का अध्याय लिखा जा रहा है।

काशी की महिमा का किया गुणगान -

प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले ही लंबा हो जाए, परंतु ये शहर जब मिलता है तो भरपूर रस से भर देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी ने बुलाया तो एक साथ विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी है। सैकड़ों करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। काशी का वैभव अब आधुनिक स्वरूप के अस्तित्व में आ रहा है। बाबा की नगरी थमती और रुकती नही है। अपने स्वभाव को सिद्ध किया है। कोरोना में जब दुनिया ठहर गई तो काशी संयमित हुई, अनुशासित हुई लेकिन सृजन और विकास की धारा लगातार बहती रही।

बनारस गीत संगीत और धर्म आध्यात्म विज्ञान का केंद्र -

प्रधानमंत्री ने पुराणों में वर्णित श्लोक का जिक्र कर कहा कि सबके हित के लिए सबके कल्याण के लिए आंसुओं से गिरा रुद्राक्ष है, महादेव की अंश्रु बूंंद मानव प्रेम का प्रतीक है। ये रुद्राक्ष भी दुनिया को आपसी प्रेम कला संंस्कृति से जोड़ने का काम करेगा। काशी सबसे पुराना शहर है। प्राचीनता को संजोकर रखा है। ठुमरी, दादरा, ख्याल, कजरी, चैती जैसी बनारस की गायन शैलियां, सारंगी पखावज शहनाई हो बनारस के रोम रोम से गीत संगीत कला झरती है। गंगा घाटों पर कलाएं विकसित हुईं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारस गीत संगीत और धर्म आध्यात्म विज्ञान का केंद्र है। कल्चरल इवेंट के लिए बनारस आइडियल लोकेशन है। लोग देश विदेश से आना चाहते हैं। सुविधा मिले तो कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे। रुद्राक्ष इन्हीं को साकार करेगा और केंद्र बनेगा।

बनारसी शिल्प को फिर से मिल रही नई पहचान -

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी तो साक्षात् शिव ही है। अब जब पिछले 7 सालों में इतनी सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रृंगार हो रहा है, तो ये श्रृंगार बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था। अब जब ये रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी का विकास और ज्यादा चमकेगा, और ज्यादा काशी की शोभा बढ़ेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में बनारस के हैंडीक्राफ्ट और शिल्प को मजबूत करने की दिशा में काफी काम हुआ है। इससे बनारसी सिल्क और बनारसी शिल्प को फिर से नई पहचान मिल रही है।

बनारसी कवि सम्मेलन के फैन दुनिया में -

प्रधानमंत्री ने कहा कि रुद्राक्ष के साथ ही गुजरात में भी जापान में जापानी गार्डन और एकाडमी का लोकार्पण हुआ था। वैसे ही जैन गार्डन भी दोनों देशों के बीच सुगंध फैला रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारसी कवि सम्मेलन के फैन दुनिया में हैं। इस सेंटर में 1200 लोगों के बैठने की सुविधा है, पार्किंग और दिव्यांगों के लिए सुविधा है। यहां कारोबारी गतिविधि भी बढ़ रही है। इसका उपयोग व्यापार में किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने लोगों से कोरोना प्रोटोकाल पालन करने का अनुरोध भी किया।


Updated : 12 Oct 2021 10:14 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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