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PFI पर प्रतिबंध के सरकार ने गिनाएं कारण, बड़ी आतंकी घटनाओं से जुड़ा रहा है नाम, जानिए क्या है काम

PFI पर प्रतिबंध के सरकार ने गिनाएं कारण,  बड़ी आतंकी घटनाओं से जुड़ा रहा है नाम, जानिए क्या है काम
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नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने आज पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है। गृह मंत्रालय के अनुसार आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से 'संबंध' होने के कारण पीएफआई पर कार्रवाई की गई है। इसके अलावा ये संगठन देश में मुस्लिम समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही देश के अंदर हुई कई हिंसक गतिविधियों में इसके सदस्यों का नाम सामने आया है।

सरकार ने ये कदम पीएफआई और उसके नेताओं से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के बाद उठाया है। 'यूएपीए' आतंकवाद रोधी कानून के तहत सरकार ने पीएफआई समेत उसके कई सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन' (आरआईएफ), 'कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया' (सीएफ), 'ऑल इंडिया इमाम काउंसिल' (एआईआईसी), 'नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन' (एनसीएचआरओ), 'नेशनल विमेंस फ्रंट', 'जूनियर फ्रंट', 'एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन' और 'रिहैब फाउंडेशन (केरल) को प्रतिबंधित कर दिया है। एनआईए और ईडी ने 22 सितंबर और 27 सितंबर को पीएफआई से जुड़े ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे थे। पहले दौर में 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, वहीँ दूसरे दौर में 239 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है।

PFI का गठन -

बता दें की आतंकी गतिविधियों से जुड़ा PFI एक कट्टरपंथी संगठन है। इसकी स्थापना 17 फरवरी 2007 को हुई थी। दक्षिण भारत के तीन इस्लामिक संगठनों का विलय कर इसका गठन हुआ था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे।दरअसल, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंश के बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों ने दक्षिण भारत के कई राज्यों में नए संगठनों की स्थापना की थी। इन्ही जिहादी सोच वाले कई संगठनों को मिलाकर नए संगठन का निर्माण हुआ। जिसे नाम दिया गया पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI ) .

23 राज्यों में विस्तार -

पीएफआई खुद को एक सामाजिक संगठन के रूप में पेश करते हुए आया है। सबसे बड़ी बात ये संगठन अपने सदस्यों के नाम और अन्य जानकारियों को आधिकारिक तौर पर नहीं रखता। जिसके चलते आपराधिक गतिविधियों में इससे जुड़े लोग आसानी से लिप्त हो जाते है। हालांकि जब कभी किसी घटना से इस संगठन का नाम जुड़ता है। जांच एजेंसियां सतर्क हो जाती है और तुरंत कार्रवाई करती है। जानकारी के अनुसार अब तक इसका 23 राज्यों में विस्तार हो चुका है। इसे स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी का ही दूसरा रूप माना जाता है। सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद इसका देश में तेजी से विस्तार हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। देश के कई राज्यों में ये संगठन प्रतिबंधित है। इसके कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को देश विरोधी मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है।

ये है आरोप -

  • पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य 'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' (सिमी) के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी जुड़े हैं।
  • पीएफआई के 'इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया' (आईएसआईएस) जैसे आतंकी संगठन से कनेक्शन कई मामले सामने आए है।
  • पीएफआई के सदस्य देश में मुस्लिम युवकों कट्टरपंथ की भावना को पैदा कर इस्लामिक राष्ट्र बनाने की तैयारी कर रहे थे।

इन घटनाओं से जुड़ा नाम -

लव जिहाद केस -

2017 में विवादास्पद हादिया केस को ध्यान में रखते हुए एनआईए ने दावा किया कि पीएफआई ने इस्लाम में धर्मांतरण करवाने का काम किया। हालांकि, 2018 में जांच एजेंसी ने इस बात को माना कि धर्मांतरण के लिए जोर-जबरदस्ती नहीं हुई थी।

श्रीलंका में बम धमाका -

एनआईए ने मई 2019 में पीएफआई के कई कार्यालयों पर छापेमारी की. जांच एजेंसी का मानना था कि ईस्टर बम धमाकों के मास्टरमाइंड के लिंक पीएफआई से जुड़े हैं। इस बम धमाके में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई।

मंगलुरु हिंसा -

साल 2019 में मंगलुरु में हुई हिंसा को लेकर पुलिस ने दावा किया की दिसंबर में सीएए-एनआरसी प्रदर्शनों के दौरान पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्यों ने हिंसा भड़काई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इस मामले में एसडीपीआई और पीएफआई के 21 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

दिल्ली दंगा -

साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में पीएफआई का नाम सामने आया था। पुलिस का आरोप है दिल्ली दंगों में पीएफआई सदस्यों ने आर्थिक और लॉजिस्टिक की मदद पहुंचायी थी।

हाथरस रेप केस -

साल 2020 के चर्चित हाथरस केस में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद यूपी पुलिस ने पीएफआई के खिलाफ देशद्रोह, धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने और अन्य मामलों में कम से कम 19 केस दर्ज किए। पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को PFI से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

केरल सोना तस्करी मामला -

साल 2020 में एनआईए अधिकारियों ने जुलाई 2020 में पीएफआई और एक सोने की तस्करी रैकेट के बीच संबंधों की जांच की। एनआईए सूत्रों ने कहा कि सोने का इस्तेमाल पीएफआई द्वारा राष्ट्र विरोधी आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग के लिए किया जा सकता है।इसके अलावा कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले लोगों की निर्मम हत्या करना, बम धमाके की साजिश रचना और सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है।




Updated : 22 Nov 2022 8:43 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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