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भारत ने बालाकोट में जैश के ठिकानों को निशाना बनाकर किया हमला

भारत ने बालाकोट में जैश के ठिकानों को निशाना बनाकर किया हमला
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नई दिल्ली। एलओसी पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि मंगलवार तड़के भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट इलाके में चल रहे प्रशिक्षण शिविरों पर हवाई हमला किया है। उन्होंने कहा कि इस एयर स्ट्राइक में जैश के कई कमांडर और आतंकी मारे गए हैं। हालांकि सेना ने मरने वाले आतंकियों की संख्या नहीं बताई है। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह हवाई हमला जिस इलाके में किया गया वह नागरिक आबादी से दूर है, इसलिए इस हमले में कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ है।

उन्होंने एक प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि 14 फरवरी को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा आत्मघाती आतंकी हमला किया गया, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद त हुए। जैश-ए-मोहम्मद पिछले दो दशकों से पाकिस्तान में सक्रिय है। इसका मुख्यालय बहावलपुर में है, जिसका सरगना मसूद अजहर है। यह संगठन दिसम्बर 2001 में भारतीय संसद और जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस सहित आतंकवादी हमलों की एक श्रृंखला के लिए जिम्मेदार रहा है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा अभियोजित किया गया है।

गोखले ने बताया कि पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में प्रशिक्षण शिविरों के स्थान के बारे में समय-समय पर भारत द्वारा पाकिस्तान को जानकारी दी गई। इसके बावजूद पाकिस्तान अपने देश में उनके अस्तित्व से इनकार करता है। हालांकि सैकड़ों जिहादियों को प्रशिक्षण देने के लिए सभी प्रशिक्षण सुविधाएं पाकिस्तान के अधिकारियों के संज्ञान के बिना वहां नहीं मिल सकतीं। भारत बार-बार पाकिस्तान से जिहादियों को पाकिस्तान के अंदर प्रशिक्षित और हथियारबंद होने से रोकने के लिए जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करता रहा है। इसके बावजूद पाकिस्तान ने अपनी धरती पर आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये।

विदेश सचिव ने बताया कि इस दौरान विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद देश के विभिन्न हिस्सों में एक और आत्मघाती आतंकी हमले की साजिश रच रहा था।फिदायीन जिहादियों को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। आसन्न खतरे के सामने, एक पूर्वनिर्धारित स्ट्राइक किया जाना बिल्कुल आवश्यक हो गया था। आज के शुरुआती घंटों में एक खुफिया अभियान के तहत भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। इस ऑपरेशन में बहुत बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों, प्रशिक्षकों, वरिष्ठ कमांडरों और जिहादियों के समूहों को, जिन्हें फिदायीन कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था, जिन्हें खत्म कर दिया गया। बालाकोट के इन शिविरों का नेतृत्व मौलाना यूसूफ उर्फ उस्ताद गौरी कर रहा था, जो जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का साला था।

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार आतंकवाद के खतरे से लड़ने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इसलिए इस गैर-सैन्य पूर्वव्यापी कार्रवाई को विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद शिविर पर लक्षित किया गया था। इस कार्रवाई के दौरान वहां के नागरिकों को हमले की जद से बचाने के लिए माहौल अनुकूल था। क्योंकि ये आतंकी प्रशिक्षण शिविर आबादी से दूर एक पहाड़ी पर घने जंगल में हैं, जहां सामान्य नागरिकों की मौजूदगी ही नहीं है।

विदेश सचिव ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने जनवरी 2004 में अपनी जमीन का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देने की पूरी प्रतिबद्धता जताई थी। हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा और जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकी शिविरों को खत्म करने के लिए कार्रवाई करेगा।

Updated : 26 Feb 2019 1:28 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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