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फर्जी नहीं थी सोहराबुद्दीन मुठभेड़, मामले के 22 आरोपितों को सीबीआई कोर्ट ने किया बरी

फर्जी नहीं थी सोहराबुद्दीन मुठभेड़, मामले के 22 आरोपितों को सीबीआई कोर्ट ने किया बरी
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मुंबई,21 दिसम्बर। मुम्बई की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने गुजरात के सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले के सभी 22 आरोपितों को शुक्रवार को बरी कर दिया। मामले की जांच करने वाली केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 38 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह समेत 16 आरोपित चार साल पहले ही बरी हो चुके हैं।

स्पेशल कोर्ट के जज एसजे शर्मा ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मुठभेड़ को षड्यंत्र और हत्या साबित करने के लिए गवाहों के बयान एवं सबूत संतोषजनक नहीं हैं। परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी किसी को दोषी करार दिए जाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। अभियोजन पक्ष ने बहुत प्रयास किए। मामले में 210 गवाह पेश किए गए, लेकिन संतोषजनक सबूत सामने नहीं आ सके। गवाह भी अपने बयानों से पलट गए। यदि गवाह बोलेंगे ही नहीं तो इसमें अभियोजन पक्ष का कोई कसूर नहीं है। इसके साथ ही स्पेशल कोर्ट ने मृतक शेख के पूर्व सहयोगी की याचिका भी खारिज कर दी।

नवम्बर 2005 के इस मामले में सीबीआई जांच में दावा किया गया था कि पुलिस ने सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति का फर्जी एनकाउंटर किया है। जबकि, गुजरात पुलिस का कहना था कि सोहराबुद्दीन आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई सितम्बर 2012 में गुजरात से मुम्बई स्थानांतरित कर दी गयी थी।

सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया था कि सोहराबुद्दीन शेख, कौसर बी और प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे 22 नवम्बर 2005 की देर रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जिले की ओर जा रहे थे। शेख की 26 नवम्बर 2005 को अहमदाबाद के पास मुठभेड़ में हत्या कर दी गई, जबकि उसकी पत्नी को भी तीन दिन के बाद हत्या कर दी गई थी। इसके एक साल बाद 27 दिसम्बर 2006 को प्रजापति की भी मुठभेड़ में मौत हो गई। जांच एजेंसी का कहना था कि प्रजापति का मुठभेड़ गुजरात और राजस्थान पुलिस ने दोनों राज्यों की सीमा के पास चापरी नामक स्थान पर किया था।

इससे पहले, बुधवार को अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने स्पेशल कोर्ट में अपील की थी कि उनसे फिर से इस मामले में पूछताछ की जाए, लेकिन कोर्ट ने दोनों की अपील खारिज कर दी। दोनों गवाहों में सोहराबुद्दीन शेख का पूर्व सहयोगी सजायाफ्ता आजम खान और पेट्रोल पंप मालिक महेंद्र जाला शामिल हैं। आजम खान ने दावा किया था कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपित पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा।

मामले के आरोपितों में ज्यादातर गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा है। सीबीआई ने 38 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इसमें 16 आरोपित वर्ष 2014 में ही आरोप मुक्त कर दिए गए थे, जिसमें गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री एवं मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी पांडे और पुलिस के पूर्व अधिकारी डीजी वंजारा प्रमुख रूप से शामिल हैं।

ये आरोपित हुए बरी : बरी होने वाले 22 आरोपितों में मुकेश कुमार लालजी भाई परमार, नारायण सिंह हरी सिंह धाबी, बालकृष्ण राजेंद्र प्रसाद चौबे, रहमान अब्दुल रशीद खान, हिमांशु सिंह राजावत, श्यामसिंह जयसिंह चरण, अजय कुमार भगवानदास परमार, संतराम चंद्रभान शर्मा, नरेश विष्णूभाई चौहान, विजयकुमार अर्जुनभाई राठोड़, राजेंद्र कुमार जीरावाला, धट्टमनेनी श्रीनिवास राव, आशीष अरुणकुमार पंड्या, नारायण सिंह फतेसिंह चौहान, युवधर सिंह नाथूसिंह चौहान, करतार सिंह यादराम जाट, जेठू सिंह मोहनसिंह सोलंकी, कानजी भाई नरनभाई कच्छी, विनोद कुमार अमृत कुमार लिंबाचिया, किरणसिंह हलाजी चौहान, करणसिंह अर्जुनसिंह सिसोदिया और रमनभाई केदार भाई पटेल के नाम शामिल हैं। (हि.स.)

Updated : 5 Jan 2019 8:47 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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