सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद चिदम्बरम की राय से कार्य कर रहे केजरीवाल
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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व उनकी सरकार अब केन्द्र सरकार व उसके द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल ,सेवानिवृत आईएएस अफसर अनिल बैजल को पहले की तरह बर्दाश्त नहीं करेंगे। केजरीवाल अब सर्वोच्च न्यायालय के 4 जुलाई 2018 के फैसले के आलोक में कार्य करेंगे, जिसने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें उपराज्यपाल को दिल्ली का सर्वेसर्वा कहा गया था। इसके लिए वह एक्शन मोड में आ गये हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब जमीन, पुलिस व पब्लिक आर्डर को छोड़कर अन्य सभी मामलों में फैसले लेने की कोशिश करने लगे हैं। लेकिन अभी भी कथित अड़ंगे की बात सामने आने लगी है और इसे वह चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी करने लगे हैं। जरूरत पड़ी तो फिर सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि अरविन्द केजरीवाल अब पूर्व केन्द्रीय गृह व वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम से सलाह, राय-बात करके, केन्द्र सरकार व उपराज्यपाल की हर चाल की काट करने की कोशिश करने लगे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदम्बरम सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील भी हैं। सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले में वह भी वकील थे।
कुछ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी भी पी.चिदम्बरम से राय लेने लगे हैं। मालूम हो कि 05 जुलाई 2017 को उपराज्यपाल किरण बेदी ने मुख्यमंत्री नारायणसामी को केन्द्रशासित राज्य के उपराज्यपाल की शक्तियों व अधिकार से संबंधित नियमों का अवलोकन करने को कहा था। कांग्रेस महासचिव शक्तिसिंह गोहिल का कहना है कि केन्द्र की मोदी सरकार केजरीवाल की तरह पुडुचेरी में नारायणसामी को भी अपने नियुक्त उपराज्यपाल किरण बेदी के मार्फत परेशान कर रही है।
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