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क्या विशेष सत्र के दौरान राजस्थान के होंगे दो टुकड़े ? मरुप्रदेश के गठन की तेज हुई मांग

मरुप्रदेश की मांग करने वालों का तर्क है कि पश्चिमी राजस्थान का ये इलाका राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी पिछड़ा हुआ है।

क्या विशेष सत्र के दौरान राजस्थान के होंगे दो टुकड़े ?  मरुप्रदेश के गठन की तेज हुई मांग
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जयपुर।राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मरू प्रदेश बनाने की मांग उठने लगी है। चुनाव से ठीक पहले जहां गहलोत सरकार नए जिलों का गठन कर रही है, वही भाजपा नीत वाली केंद्र सरकार राजस्थान का बंटवारा कर मरुप्रदेश बनाने का मास्टर स्ट्रोक खेल सकती है। इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई है।

दरअसल, पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान वाले इलाके में लंबे समय से मरुप्रदेश बनाने की मांग उठती रही है। अब ये मांग चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर तेज हो गई है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार विशेष सत्र में ही इस बिल को भी पास कर नए राज्य का गठन कर सकती है। इसी विशेष सत्र के आगाज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि यह सत्र ऐतिहासिक रहने वाला है,इसके बाद से कयास लगाए जा रहे है कि जल्द ही अयोध्या, मुंबई और मरुप्रदेश के गठन को लेकर सरकार बड़ा फैसला ले सकती है।

20 जिले होंगे शामिल -


यदि राजस्थान का बंटवारा होता है तो थार रेगिस्तान इलाके वाले 20 जिले मरुप्रदेश को मिल सकते है। जिसमें श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, डीडवाना, कुचामन, नीमकाथाना, नागौर, फलोदी, जैसलमेर, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, बालोतरा, जालौर, सांचौर और सिरोही शामिल होंगे।

14.65% खनिज उत्पादन

बता दें कि देश का 14.65% खनिज उत्पादन इसी क्षेत्र से होता है। वहीं देश की 27 प्रतिशत तेल और गैस की आपूर्ति भी इसी क्षेत्र से की जाती है। जनसंख्या की बात करें तो इस क्षेत्र में 2 करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जबकि क्षेत्र की साक्षरता दर 63 फ़ीसदी से ज्यादा है।

विकास में तेजी आएगी -

मरुप्रदेश की मांग करने वालों का तर्क है कि पश्चिमी राजस्थान का ये इलाका राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले काफी पिछड़ा हुआ है। इसका बड़ा कारण भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति अलग है। इस हिस्से की जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या का वितरण भी अलग है। यदि ये इलाका नए राज्य के रूप में सामने आएगा तो इस क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी।

मरुप्रदेश की मांग का इतिहास -

  • स्वतंत्रता के बाद से ही मरुप्रदेश के गठन की मांग उठ रही है।
  • आजादी के समय जोधपुर और बीकानेर स्टेट ने अलग से मरूप्रदेश बनाने की मांग रखी थी।
  • मरुप्रदेश के राजस्थान में विलय के विरोध में तत्कालीन जोधपुर महाराजा हनुवंत सिंह जी पहली लोकसभा में काली पगड़ी पहनकर गए थे।
  • उस समय अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मांग को केंद्र सरकार ने ख़ारिज कर दिया था।
  • साल 2001 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 03 राज्य नए बनाये तो उस समय भी मरुप्रदेश की मांग उठी।
  • उस समय तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखवत ने पत्र लिखकर मरुप्रदेश बनाने की मांग की थी।

Updated : 25 Sep 2023 8:22 PM GMT
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Prashant Parihar

पत्रकार प्रशांत सिंह राष्ट्रीय - राज्य की खबरों की छोटी-बड़ी हलचलों पर लगातार निगाह रखने का प्रभार संभालने के साथ ही ट्रेंडिंग विषयों को भी बखूभी कवर करते हैं। राजनीतिक हलचलों पर पैनी निगाह रखने वाले प्रशांत विभिन्न विषयों पर रिपोर्टें भी तैयार करते हैं। वैसे तो बॉलीवुड से जुड़े विषयों पर उनकी विशेष रुचि है लेकिन राजनीतिक और अपराध से जुड़ी खबरों को कवर करना उन्हें पसंद है।  


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