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भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय से एनजीओ को मिला बड़ा अनुदान, विज्ञान के नाम पर कर दिया खेला…!

  • स्वदेश पड़ताल - भाग एक

भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय से एनजीओ को मिला बड़ा अनुदान, विज्ञान के नाम पर कर दिया खेला…!
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वेब डेस्क। विज्ञान एवं प्रौधोगिकी मंत्रालय भारत सरकार से मप्र को पिछले दो बर्षों में शोध एवं विकास ( आर एंड डी)परियोजनाओं के लिए 174 करोड़ की बड़ी धनराशि जारी की गई। लगभग 20 करोड़ तो केवल एनजीओज को जागरूकता औऱ प्रचार प्रसार के लिए दिए गए है। ।एनजीओ ने भी ऐसे ऐसे बिषयों पर प्रोजेक्ट्स हासिल किये जो प्रथम द्रष्टया ही महज खानापूर्ति कर सरकारी बजट को ठिकाने लगाने की ओर इशारा करते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिन जिलों में भारत सरकार के फंड से ये एनजीओ काम कर रहे है वहाँ के स्थानीय अधिकारियो को इनकी कोई जानकारी नही हैं।इस एनजीओ के खेल में भोपाल,इंदौर से लेकर शिवपुरी,भिंड नर्मदापुरम, दमोह, छतरपुर, ग्वालियर, गुना, दतिया, अशोकनगर जैसे जिलों के एनजीओ भी शामिल हैं।

मप्र में करीब बीस करोड़ की राशि पिछले दो सालों में एनजीओज को विज्ञान में नव प्रवर्तन औऱ नवाचार के लिए जारी की गई है।

'स्वदेश' ने इन स्वीकृत परियोजनाओं की जमीनी पड़ताल करने की कोशिश की तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं।

पहला तो तथ्य तो यह कि इस तरह के नवाचार में एनजीओज को शामिल करने में स्थानीय प्रशासन की कोई भूमिका ही नही है।नतीजतन मंत्रालय से सीधे प्रस्ताव स्वीकृत होने से जिला या राज्य स्तर पर इनका कोई लेखा जोखा ही उपलब्ध नही है।

85 एनजीओ करीब 20 करोड की राशि:

वर्ष 2019-20 से 2021-22 के मध्य मप्र के इन एनजीओ को भारत सरकार के विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी मंत्रालय द्वारा 85 ऐसी परियोजनाओं को बजट आबंटित किया गया है।इनमें न्यूनतम 3.20 लाख से लेकर दो करोड़ दस लाख तक की परियोजना शामिल हैं।

ग्वालियर चंबल क्षेत्र के करीब दो दर्जन से अधिक एनजीओज के करोड़ों के इन प्रोजेक्ट्स से जुड़ी गतिविधियों की कोई जानकारी सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध नही है।विज्ञान औऱ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विशेषज्ञता का दावा करने वाले इन संगठनों में 90 फीसदी के पास अपनी बेबसाइट तक नही हैं, जिससे इनके कार्यकलापों या मंत्रालय से मिली परियोजनाओं से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सके।

संदेह इसलिए भी होता है कि कुछ एनजीओ अलग अलग पतों से अनुदान प्राप्त कर रहे है।मसलन श्योपुर की सुश्री विजय लक्ष्मी ने श्योपुर के अलावा गवालियर के यमुनोत्री अपार्टमेंट नेहरू नगर ठाठीपुर पर भी अपना पता दिखाया है इसी पते पर 'जेसी बोस फाउंडेशन' को एक प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है।ग्वालियर के "युवा विज्ञान परिषद" को भी बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट्स मिले लेकिन इस संस्था की सोशल मीडिया पर उपलब्ध गतिविधियों में "विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय" की इन योजनाओं का कहीं भी जिक्र नही है।ग्वालियर के जिला प्रशासन को भी इन विज्ञान जागरूकता के सरकारी कार्यक्रम की कोई जानकारी नही है।

ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बड़े अनुदान प्राप्त हुए हैं :

*ग्वालियर की "युवा विज्ञान परिषद" ने मंत्रालय से बड़ी संख्या में परियोजनाओं के लिए अनुदान हासिल किया।103 आनन्द अपार्टमेंट *नया बाजार लश्कर के पते पर पंजीकृत इस एनजीओ से जुड़े डॉ यूसी गुप्ता ने मध्य भारत मे सांस्कृतिक विज्ञान पंडाल के लिए 49 लाख अनुदान प्राप्त किया।

*इसी संस्था के सुनील जैन ने कोविड के निवारक उपाय के जागरूकता अभियान हेतु 18.20 लाख की राशि प्राप्त की।

*सुनील जैन के नाम से ही 12 लाख की राशि लोक मीडिया के माध्यम से चमत्कारों की विज्ञान व्याख्या के लिए जारी की गई।

*सुनील जैन की इस संस्था ने कोविड के दौरान बच्चों में वैज्ञानिक गुण विकसित करने के लिए 14.90 लाख का एक औऱ प्रोजेक्ट स्वीकृत किया।

*युवा विज्ञान परिषद के ही राजीव जैन ने पिछले साल जनजातीय बस्तियों में कठपुतली एवं लोक मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों की जन जागरूकता के लिए 24.60 लाख खर्च किये है।

*ग्वालियर में रेती फाटक लोहामंडी पते पर 'कदम जन विकास संस्थान 'के नाम से गठित एनजीओ से जुड़ी सुश्री अनुपम साहू ने शिवपुरी के संकट ग्रस्त आदिवासी युवाओं के बीच हरित जीवन कौशल औऱ वैज्ञानिक सोच को बढ़ाने के नाम पर 9.50 लाख की राशि खर्च की है।

*अनुपम साहू को मंत्रालय ने स्कूली छात्रों में स्वास्थ्य साक्षरता के लिए भी 9.50 लाख की धन राशि दी है।

*इसी कदम जन विकास संस्थान की श्रीमती शाबाना बानो को 'मेरी रसोई'महिला विज्ञान साक्षरता के लिए 15.60 लाख स्वीकृत किये गए है यह परियोजना अभी क्रियान्वयन के चरण में हैं।

*सिटी सेंटर साइट न. 1 ग्वालियर से संचालित शिववीर सिंह कल्याण समिति के शैलेश सिंह ने इको डिजाइन प्रैक्टिस के लिए 9.50 लाख अनुदान प्राप्त किया।

*ग्वालियर साइंस सेंटर की श्रीमती संध्या वर्मा ने विज्ञान मेले के लिए 10.80 लाख खर्च किये हैं।

*श्रीमती वर्मा ने विज्ञान कांग्रेस के आयोजन के लिए भी 21.70 लाख 2019-20 में मंत्रालय से प्राप्त

( क्रमशः जारी…)

Updated : 5 Feb 2023 4:58 PM GMT
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