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चीन की मंशा, अमेरिका-चीन के बीच भारत बने सेतु

वैश्विक मंच पर भारत की धमक, प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित है चीन

चीन की मंशा, अमेरिका-चीन के बीच भारत बने सेतु
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ग्वालियर/राजीव अग्रवाल। भारत का आज विश्व में एक विशिष्ट मान है।चीन भी भारत से संबंधों में मधुरता चाहता है।चीन चाहता है भारत ,चीन एवं अमेरिका के बीच संबंधों को बेहतर करने में एक सेतु बने।चीन की इस इच्छा को समझते हुए भारत ने भी अपना पक्ष प्रभावी तरीके से रखते हुए चीन से कहा कि पहले वह पाकिस्तान के मसले पर अपने रुख को बदले। चीन की यह अपेक्षा यह प्रमाण है कि आज भारत की विश्व मंच पर कितनी दमदार आवाज़ है।

यह बात चीन प्रवास से लौटे ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर ने स्वदेश से विशेष चर्चा करते हुए कही।उन्होंने कहा कि भारत और चीन के आपसी संबंध मधुर रहें एवं व्यापारिक कारोबार में वृद्धि को लेकर दोनों देशों के सत्तारूढ़ राजनैतिक दलों के बीच सात दिन तक वार्ताएं चली। अंतर्राष्ट्रीय डिपार्टमेंट सेंट्रल कमेटी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बुलावे पर भारत से भारतीय जनता पार्टी का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चीन यात्रा पर गया था। यह दल 25 अगस्त से लेकर 2 सितंबर तक वहां रहा।इसमें ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भी शामिल रहे।

श्री शेजवलकर ने बताया कि चीन के लोग इस बात पर जोर दे रहे थे कि उनके अमेरिका से संबंधों लेकर तनाव है,जिसमें भारत को हमारी मदद करना चाहिए। जिसपर हमने भी पाकिस्तान सहित कुछ ऐसे मुद्दे उन्हें गिनाए जो चीन की दृष्टि से हमारे लिए उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि हमने उनसे कहा कि वैश्विक स्तर पर चीन के बारे में लोगों की राय अच्छी नहीं है।समय-समय पर उनकी ओर से बयान आते हैं, उससे भी माहौल बिगड़ता है। इसलिए गलतफहमी दूर करने के प्रयास होना चाहिए। यही कारण है कि चीन से आने वाले उत्पाद भी यहां स्वदेशी की धारणा के कारण दूसरे भाव से देखे जाते हैं। वह जो माल भारत भेजते हैं, उतना माल भारत से चीन नहीं खरीदता। इसपर भी विचार किया जाना चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बराबरी का रह सके। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने यह भी स्वीकार किया कि दोनों देश प्रगतिशील हैं और सांस्कृतिक एवं सामाजिक दृष्टि से कई समानताएं भी हैं। इसके साथ ही दोनों ही देशों की जनसंख्या और बाजार भी बड़े हैं। इसलिए इन संबंधों को बनाए रखने के लिए कटुता की बजाय औद्योगिक प्रगति को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि जिस तरह व्यापारिक लेन-देन में अंतर है, उसी तरह चीन के पर्यटक यहां उतने नहीं आते, जितने पर्यटक यहां से चीन जाते हैं। इसलिए इसपर भी विचार होना चाहिए।

श्री शेजवलकर ने बताया कि वहां के लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काफी तारीफ की। उनका कहना था कि श्री मोदी में निर्णय लेने की क्षमता है, उनके नेतृत्व में चीन से मधुर संबंध स्थापित हो रहे हैं। इसी वजह से अब वहां के अध्यक्ष भारत की यात्रा पर आने वाले हैं।

अब तक 35 बिल हुए पास

वहीं श्री शेजवलकर ने इस बात पर बेहद खुशी जाहिर की कि संसद में कश्मीर से धारा 370 में उनके साथ केंद्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर का भी मत काम में आया। उन्होंने बताया कि संसद में अब तक के कार्यकाल में लगभग 300 घंटे सदन चला है, जिसमें 37- 38 बैठकें हुई और कुल 35 बिल पास हुए, जो अपने आप में उपलब्धि है।

अप्रत्यक्ष महापौर को कठपुतली की तरह होगा

दो बार महापौर रहे श्री शेजवलकर ने राज्य शासन द्वारा महापौर का चुनाव सीधे की बजाय सदन में कराने पर अपनी राय यह कहकर दी कि जिस तरह मुख्यमंत्री कमलनाथ कठपुतली बने हुए हैं, उसी तरह उनकी सरकार महापौर की कुर्सी को करना चाहती हैं। ऐसे में खरीद-फरोख्त का काम शुरू होगा और महापौर कमजोर होगा। इससे ऐसा भी लग रहा है कि कांग्रेस दलीय आधार पर चुनाव कराने से घबरा रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रदेश सरकार अपने कर्मों से ही धराशाई हो जाएगी। यह लोग दुर्घटनावश सरकार में आ गए हैं, उन्हें खुद ही नहीं पता कि हम कितने दिन के मेहमान हैं। इसलिए उनमें विकास को लेकर किसी तरह की सोच नहीं है।

श्रेय नहीं हम तो काम करते हैं

ग्वालियर में विकास योजनाओं के लोकार्पण और भूमि पूजन में कांग्रेस द्वारा की जा रही श्रेय की राजनीति पर श्री शेजवलकर ने कहा कि हम श्रेय की कभी बात ही नहीं करते, हम तो काम करते हैं, जो सबके सामने है। हमारे सामने श्रेय की तो कोई बात ही नहीं है। वह हमारे काम को छीनकर श्रेय लेना चाहते हैं।

Updated : 8 Sep 2019 10:14 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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