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गुंजन सक्सेना बनीं जान्हवी कपूर की बात में दम है

विवेक पाठक

गुंजन सक्सेना बनीं जान्हवी कपूर की बात में दम है
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कारगिल गर्ल एवं भारतीय वायुसेना में पायलट रहीं गुंजन सक्सेना पर फिल्म बनी है। लॉकडाउन के बीच हमें इस फिल्म में श्रीदेवी की बड़ी बेटी जान्हवी कपूर की अदाकारी देखने को मिलेगी। देखते हैं जान्हवी की अदाकारी क्या कमाल करती है। फिल्म 12 अगस्त को नेटफिलिक्स पर रिलीज हो रही है।

इस फिल्म का ट्रेलर जारी होने के बाद से जान्हवी की तारीफ की जा रही है मगर सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बड़ी बहस जारी है। सुशांत की मौत के बाद करण जौहर, सलमान खान, सूरज पंचोली के खिलाफ जहां सुशांत समर्थक सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे तो आलिया भट्ट, सोनम कपूर, रणवीर कपूर जैसे स्टार किड्स को भी जमकर ट्रॉल किया जा रहा है। प्रशंसकों का आरोप है कि बिहार से बॉलीवुड में कदम रखने वाले सुशांत सिंह राजपूत में नैसर्गिक अभिनय प्रतिभा थी इसलिए उन्हें परेशान किया गया। करण जौहर, यशराज जैसे निर्देशकों ने उन्हें भाई भतीजावाद के कारण अपनी फिल्में देना बंद कर दीं और उनके खिलाफ खेमेबाजी की जिससे सुशांत अवसाद में आ गए और अवसाद में घिरकर ही उन्होंने आत्महत्या कर ली। ट्विटर, फेसबुक आदि मंचो ंपर आलिया भट्ट और सोनम कपूर जैसे स्टार किड्स को शुरुआत से बड़े मौके लगातार दिए जाने की आलोचना की जा रही है। इस बहस में सवाल उठ रहे हैं कि क्या फिल्मी परिवारों के बच्चों जैसे बड़े मौके नीचे से आ रहे प्रतिभाशाली कलाकारों को बराबरी से मिलते हैं।

अगर इन सवालों के जवाबों की बात की जाए तो सही है कि बिना गॉडफादर और विरासत के मौके आसानी से तो नहीं मिलते मगर ये भी सही है कि स्टार किड्स को ये मौके मिलने के बाद भी सफलता भी आसानी से नहीं मिलती। उनसे भी अपने कलाकार मां बाप की तरह बड़ी आशाएं और अपेक्षाएं होती हैं और प्रशंसक उन्हें उनके बराबर रखकर अदाकारी के तराजू पर तौलते हैं। ऐसा नहीं होता तो क्या अमिताभ के बेटे अभिषेक बच्चन को भी आज हिन्दी सिनेमा में अपने पिता का ही सिंहासन नहीं मिल गया होता। अभिषेक को शुरुआत से बड़े मौके मिले मगर उन्हें उसी तरह बड़ी सफलताएं नहीं मिल पायीं। अभिषेक बच्चन अपने फिल्मी करियर में लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने धूम सीरिज से जरुर नाम कमाया मगर वह क्षणभंगुर ही रहा। वे हिन्दी सिनेमा के टॉप के नायकों में कभी शुमार नहीं हो पाए। उनकी तुलना में सिने परिवार से ही आए अजय देवगन लगातार लोकप्रिय हैं और 50 पार के बाद भी करोड़ों सिनेप्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। इस तरह देखें तो भाईभतीजावाद सिनेमा में ओपनिंग भले करा दे मगर कामयाबी अजय देवगन जैसी सतत मेहनत किए बिना नहीं मिलेगी। इस बहस के बीच गुंजन सक्सेना फिल्म का विरोध वेबजह लगता है।

जान्हवी कपूर ने भी इस पूरे मामले पर बहुत ईमानदारी से बात रखी है। जान्हवी ने लिखा है कि हम दर्शकों की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

दिवंगत श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी ने कहा कि लोग उन्हें तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि वह 'असाधारण' ना हो. उन्होंने कहा, आप या तो इससे दब जाएंगे या फिर इसमें उम्मीद की किरण देखेंगे। मुझे जो समझ आया है कि लोग मुझे तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जबतक मैं कुछ खास ना करुं। यह बहुत अच्छा भी है क्योंकि उन्हें उम्मीद से कम से काम चलाना भी नहीं चाहिए। इनसाइडर्स-आउटसाइडर्स की बहस के बीच जान्हवी ने बेबाकी से कहा है कि वे खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं।

जान्हवी की इस साफगोई की तारीफ की जानी चाहिए साथ ही उनकी आगामी फिल्म गुंजन सक्सेना के प्रति भी पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए। उन्हें उनकी मेहनत और अदाकारी से आंका जाए यही सिनेमा के हित में होगा और यह जान्हवी और उनकी फिल्म का सामान्य हक भी है तो फिलहाल शुभकामनाएं जान्हवी।

Updated : 9 Aug 2020 11:43 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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