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पचास करोड़ मोबाइल नम्बर बंद होने की खबर को UIDAI ने बताया निराधार

पचास करोड़ मोबाइल नम्बर बंद होने की खबर को UIDAI ने बताया निराधार
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। दूरसंचार विभाग (डॉट) और भारत की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण(यूआईडीएआई) ने गुरुवार को संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा कि 50 करोड़ मोबाइल नम्बर बंद होने की रिपोर्ट निराधार है। इस तरह की खबर से मोबाइल उपयोगकर्ताओं के बीच एक अनावश्यक आतंक का माहौल सा बन गया है।जबकि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह नहीं कहा है कि आधार कार्ड के माध्यम से अधिग्रहित मोबाइल नंबरों को डिस्कनेक्ट करना होगा

डॉट और यूआईडीएआई ने स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय ने आधार मामले में अपने फैसले में यह निर्देश नहीं दिए हैं कि आधार ईकेवाइसी के जरिए जारी किया गया मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट किया जाएगा। ऐसे में इस मामले को लेकर उपभोक्ता को परेशान होने की जरुरत नहीं है। लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान देने की भी जरुरत नहीं है।उच्चतम न्यायालय ने टेलीकॉम यूजर्स का ईकेवाईसी डाटा 6 महीने के बाद डिलीट करने के लिए नहीं कहा है। अदालत ने यूआईडीएआई को यह कहा था कि वो 6 महीने से ज्यादा यूजर्स का डाटा ऑथेंटिकेशन के लिए न रखें। साथ ही ऑथेंटिकेशन डाटा 6 महीने से ज्यादा न रखने की रोक केवल यूआईडीएआई पर थी न की टेलीकॉम कंपनियों पर।

ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों को यूजर्स का ऑथेंटिकेशन डाटा डिलीट करने की कोई जरुरत नहीं है। जबकि उन्हें तो यूजर्स की किसी शिकायत को दूर करने के लिए इस डाटा की जरुरत होती है। मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि अगर यूजर चाहें तो वो अपने सर्विस प्रोवाइडर से निवेदन कर अपना मौजूदा आधार ईकेवाईसी नए ईकेवाईसी से रिप्लेस करा सकता है। डॉट और यूआईडीएआई ने यह भी बताया कि कानून में खामी के चलते आधार ईकेवाईसी के जरिए नए सिम कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे। लेकिन पुराने मोबाइल नंबर्स को डिस्कनेक्ट नहीं किया जाएगा।

मालूम हो कि बुधवार को मीडिया में इस तरह की खबर आयी थी कि मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को फिर से केवाईसी की शर्त पूरी करनी पड़ सकती है। ऐसा नहीं करने पर उनका मोबाइल नंबर बंद हो सकता है।जिन लोगों ने आधार वेरिफिकेशन के बाद सिम नंबर लिया था। अब उन्हें पहचान का नया सबूत देना पड़ेगा।

Updated : 18 Oct 2018 2:35 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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